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Bach Baras Kal: Do this remedy for happiness and children in the family, Lord Krishna will shower his blessings

आगरालीक्स… परिवार में खुशहाली और सुपुत्र एवं संतान प्राप्ति की बछ बारस कल 23 अगस्त को है। जानिये इस  गौवत्स द्वादशी का महत्व और पूजा विधि।

कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक बछ बारस भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। इस वर्ष मंगलवार 23 अगस्त की है।

गाय-बछड़े का है महत्व

🌻 बछ यानि बछड़ा गाय के छोटे बच्चे को कहते है । इस दिन को मनाने का उद्देश्य गाय व बछड़े का महत्त्व समझाना है। गोवत्स का मतलब भी गाय का बच्चा ही होता है। कृष्ण भगवान को गाय व बछड़ा बहुत प्रिय थे। गाय व बछड़े की पूजा करने से परिवार में खुशहाली बनी रहती है ऐसा माना जाता है

बछ बारसः क्या करें और क्या नहीं

🌸 इस दिन महिलायें बछ बारस का व्रत रखती है। यह व्रत सुहागन महिलाएं सुपुत्र प्राप्ति और पुत्र की मंगल कामना के लिए व परिवार की खुशहाली के लिए करती है। गाय और बछड़े का पूजन किया जाता है। गाय का दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे दही , मक्खन , घी आदि का उपयोग नहीं किया जाता। इसके अलावा गेहूँ और चावल तथा इनसे बने सामान नहीं खाये जाते।

🏵 भोजन में चाकू से कटी हुई किसी भी चीज का सेवन नहीं करते है। इस दिन अंकुरित अनाज जैसे चना , मोठ , मूंग , मटर आदि का उपयोग किया जाता है। भोजन में बेसन से बने आहार जैसे कढ़ी , पकोड़ी , भजिये आदि तथा मक्के , बाजरे ,ज्वार आदि की रोटी तथा बेसन से बनी मिठाई का उपयोग किया जाता है।

बछ बारस के व्रत का उद्यापन करते समय इसी प्रकार का भोजन बनाना चाहिए। उजरने में यानि उद्यापन में बारह स्त्रियां , दो चाँद सूरज की और एक साठिया इन सबको यही भोजन कराया जाता है

*🔥 शास्त्रों के अनुसार इस दिन गाय की सेवा करने से , उसे हरा चारा खिलाने से परिवार में महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा परिवार में अकालमृत्यु की सम्भावना समाप्त होती है।।                       

🍁 बछ बारस की पूजा विधि

💐सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर शुद्ध कपड़े पहने। दूध देने वाली गाय और उसके बछड़े को साफ पानी से नहलाकर शुद्ध करें।गाय और बछड़े को नए वस्त्र ओढ़ाएँ।फूल माला पहनाएँ।उनके सींगों को सजाएँ। उन्हें तिलक करें गाय और बछड़े को भीगे हुए अंकुरित चने , अंकुरित मूंग , मटर , चने के बिरवे , जौ की रोटी आदि खिलाएँ। गौ माता के पैरों धूल से खुद के तिलक लगाएँ। इसके बाद बछ बारस की कहानी सुने

🌟 गाय और बछड़े की पूजा करने के बाद महिलायें अपने पुत्र के तिलक लगाकर उसे नारियल देकर उसकी लंबी उम्र और सकुशलता की कामना करें। श्रद्धा और रिवाज के अनुसार व्रत या उपवास रखें। मोठ या बाजरा दान करें। सासुजी को बयाना देकर आशीर्वाद लें

🌷 यदि आपके घर में खुद की गाय नहीं हो तो दूसरे के यहाँ भी गाय बछड़े की पूजा की जा सकती है। ये भी संभव नहीं हो तो गीली मिट्टी से गाय और बछड़े की आकृति बना कर उनकी पूजा कर सकते हैं।

पूजन मंत्र

ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि।मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।

ॐ माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानाममृतस्य नाभि:

प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं वधिष्ट नमो नम: स्वाहा।

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