आगरालीक्स…चैत्र नवरात्र पर घट स्थापना के लिए कितने हैं शुभ मुहूर्त। कौन से दिन किस देवी के स्वरूप की पूजा करें। पूजा विधान, सामग्री के साथ जानिये आसान पूजा विधि।
हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी माता रानी
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक चैत्र नवरात्र 22 मार्च से 30 मार्च तकहै। इस बार देवी मां अपने प्रिय भक्तों के यहां नौका पर सवार होकर आएंगी और नवरात्र की समाप्ति पर हाथी पर सवार होकर देवलोक को वापस लौट जाएंगी।
घट स्थापना के उत्तम मुहूर्त
🌻 22 मार्च दिन बुधवार को प्रातः 06:25 से लेकर 09:25 तक विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार “लाभ और अमृत “के दो सुप्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगें।
“शुभ” का चौघड़िया व अभिजीत मुहूर्त
इसके बाद दिवाकाल 10:55 से 12:25 तक “शुभ” का बहुत ही सुंदर चौघड़िया मुहूर्त ” उपस्थित होगा। इसी समय से पहले 11:15 बजे से” अभिजीत” मुहूर्त भी चालू हो जाएगा।
“चर और लाभ” के दो मुहूर्त
इसके बाद दोपहर 3:25 से शाम 6:25 तक “चर और लाभ” के दो अत्यंत शुभ चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे जिनमें कोई भी व्यक्ति अपने घर में मंदिर में घट स्थापना कर सकता है
घट स्थापना कैसे करें
🍁 नवरात्र में घट स्थापना का बहुत महत्त्व है। नवरात्र की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है। कलश को सुख-समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है।
🌷 इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
घट स्थापना की सामग्री
🌸 जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्रजौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिट्टी जिसमे कंकर आदि ना हो, पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है ), घटस्थापना के लिए मिट्टी का कलश या फिर तांबे का कलश भी लें सकते है, कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, रोली , मौली, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी,कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है ), आम के पत्ते, कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का ),ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल, नारियल, लाल कपडा, फूल माला,फल तथा मिठाई ,दीपक , धूप , अगरबत्ती
घट स्थापना की विधि
🏵 सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए । पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें
कलश तैयार करें
कलश पर स्वास्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें।
🏵 कलश में साबुत सुपारी , फूल डालें। कलश में सिक्का डालें। अब कलश में पत्ते डालें। कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें
⭐ नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है ।अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें
देवी मां की चौकी की स्थापना
🏵 लकड़ी की एक चौकी को गंगाजल और शुद्ध जल से धोकर पवित्र करें
☘ साफ कपड़े से पोंछ कर उस पर लाल कपड़ा बिछा दें
🌷 इसे कलश के दांयी तरफ रखें
🍀 चौकी पर माँ दुर्गा की मूर्ती अथवा फ्रेम युक्त फोटो रखें
🌸 माँ को लालचुनरी ओढ़ाएँ और फूल माला चढ़ाये
🌻 धूप , दीपक आदि जलाएँ
💥 नौ दिन तक जलने वाली माता की अखंड ज्योत जलाएँ। न हो सके तो आप सिर्फ पूजा के समय ही दीपक जला सकते है
देवी मां को तिलक लगाए
♦माँ दुर्गा को वस्त्र, चंदन, सुहाग के सामान यानि हलदी, कुमकुम, सिंदूर, अष्टगंध आदि अर्पित करें ,काजल लगाएँ
🔸 मंगलसूत्र, हरी चूडियां , फूल माला , इत्र , फल , मिठाई आदि अर्पित करें
* प्रतिदिन श्रद्धानुसार दुर्गा सप्तशती के पाठ , देवी माँ के स्रोत ,दुर्गा चालीसा का पाठ, सहस्रनाम आदि का पाठ करेंयासुने
अग्यारी तैयार कीजिये
🔥 अब एक मिटटी का पात्र और लीजिये उसमे आप गोबर के उपले को जलाकर अग्यारी जलाये घर में जितने सदस्य है उन सदस्यो के हिसाब से लोंगके जोडे बनाये लोंग के जोड़े बनाने के लिए आप बताशो में लोंग लगाएं यानिकि एक बताशे में दो लोंग ये एक जोड़ा माना जाता है और जो लोंग के जोड़े बनाये है फिर उसमे कपूर और सामग्री चढ़ाये और अग्यारी प्रज्वलित करे
🏵 रोजाना (प्रतिदिन) देवी माँ की सपरिवार आरती करें
♦पूजन के उपरांत वेदी पर बोए अनाज पर थोड़ा सा जल अवश्य छिड़कें
🌻 रोजाना देवी माँ का पूजन करें तथा जौ वाले पात्र में जल का हल्का छिड़काव करें। जल बहुत अधिक या कम ना छिड़के । जल इतना हो कि जौ अंकुरित हो सके। ये अंकुरित जौ शुभ माने जाते है। । यदि इनमे से किसी अंकुर का रंग सफ़ेद हो तो उसे बहुत अच्छा माना जाता है
व्रत की पूजा विधि
🍁 नवरात्र के दिनों में बहुत से लोग आठ दिनों के लिए व्रत रखते हैं (पड़वा से अष्टमी), और केवल फलाहार पर ही आठों दिन रहते हैं।
🏵 नवरात्र के व्रत में अन्न खाना निषेध है
🔥 सिंघाडे के आटे की लप्सी ,सूखे मेवे , कुटु के आटे की पूरी , समां के चावल की खीर, आलू ,आलू का हलवा भी लें सकते है।
चैत्र नवरात्र के शुभ दिन व तिथियां
🌻 नवरात्र दिन 1 (प्रतिपदा) घट स्थापना: मां शैलपुत्री पूजा, 22 मार्च (बुधवार)
🍁 नवरात्र दिन 2 (द्वितीया) मां ब्रह्मचारिणी पूजा 23 मार्च (गुरूवार)
🌸 नवरात्र दिन 3 (तृतीया) मां चंद्रघंटा पूजा, 24मार्च, (शुक्रवार)
🏵 नवरात्र दिन 4 (चतुर्थी) मां कूष्मांडा पूजा, 25 मार्च (शनिवार)
🌟 नवरात्र दिन 5 (पंचमी) मां स्कंदमाता 26 मार्च (रविवार)
🌹 नवरात्र दिन 6 (षष्ठी )मां कात्यायनी पूजा, 27मार्च (सोमवार)
🌲 नवरात्रि दिन 7 (सप्तमी) मां कालरात्रि पूजा 28 मार्च (मंगलवार)
🌷 नवरात्र दिन 8 (अष्टमी) मां महागौरी, दुर्गा महा अष्टमी पूजा, दुर्गा 29 मार्च, (बुधवार)
🔥 नवरात्र दिन 9 (रामनवमी) मां सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा 30मार्च (गुरुवार)