टोमेटो सॉस का सैंपल बड़ा खर्रा गांव से जून में लिया गया था। यह मथुरा की फर्म ब्रजवासी सॉस का था। एफडीए ने बताया कि इसकी लैब परीक्षण रिपोर्ट में इसे सेहत के लिए असुरक्षित ( अनसेफ ) बताया गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियमानुसार सॉस में रंग का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। जबकि इसमें प्रतिबंधित श्रेणी के रंग मिलाए गए थे। ऐसे रंग तब मिलाए जाते हैं जब टोमोटे सॉॅस टमाटर की जगह किसी और चीज से बनाया जाए।
दूसरा सैंपल पनीर का था, जो सैंया के लच्छीपुरा के रविन्द्र कुमार त्यागी की फर्म से लिया गया था। यह फर्म खुद पनीर बनाकर बेचने का काम करती है। इसमें स्टार्च और रिफाइंड ऑयल पाया गया। यह भी अनसेफ बताया गया है। इनका इस्तेमाल तब होता जब पनीर दूध की जगह मिल्क पाउडर से बनाया जाए। एफडीए के अभिहीत अधिकारी राम नरेश का कहना है कि फूड एंड सेफ्टी कमिश्नर से स्वीकृति मांगी गई है। इनके अलावा दूध में हाईड्रोजन परआक्साइड मिलाए जाने के मामले भी पाए गए हैं। दोनों मामलों में कोर्ट में वाद दायर किया जाएगा।
लाइसेंस किए गए निलंबित
इनके अलावा खेरागढ़ में पीसी सिंघल डेयरी और चौहान चिलिंग सेंटर के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। दोनों जगह दूध में हाईड्रोजन परआक्साइड पाया गया था।
मैगी, यिप्पी और बच्चों को बीमार करने वाले दूध की नहीं आई रिपोर्ट
आगरा से मैगी और यिप्पी समेत नूडल्स के 18 नमूनों का परीक्षण पहेली बनकर रह गया है। एफडीए ने इन्हें मई में लखनऊ लैब भेजा था। नियमानुसार, रिपोर्ट 14 दिन में आ जानी चाहिए। लेकिन लैब से बताया गया था कि एक महीने का समय लग सकता है। हैरानी की बात यह है कि चार महीने बीतने के बाद भी रिपोर्ट नहीं आई है। उधर, खेरागढ़ में मिड डे मील का दूध पीने से 139 बच्चों के बीमार पड़ जाने के मामले में भेजे गए दूध के नमूने की रिपोर्ट भी नहीं आई है। एफडीए अधिकारियों ने इस परीक्षण को प्राथमिकता के आधार पर चार दिन में करने के लिए कहा था।
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