आगरालीक्स…(Video) आगरा में दर्द से कराहते 19 साल के राहुल को मौत के मुंह से खींच लाए धरती के भगवान, बेबस मां की फरियाद पर डाॅक्टरों ने एक रूपया नहीं लिया, अस्पताल ने पूरा बिल माफ किया, अब मां बोली ईश्वर बनकर आए डाॅ. दिनेश गर्ग, केपी इंस्टीट्यूट अस्पताल नहीं मंदिर
19 साल के राहुल से पेट का दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसकी चीखों से मां सरोज का कलेजा फटा जा रहा था। किसी पहचान वाले ने कहा कि डाॅ. दिनेश गर्ग के पास लेकर जाओ। वही इसे ठीक कर सकते हैं। वह स्पेशलिस्ट हैं। बहुत नाम है। केपी इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज का पता दिया। बेटे को लेकर पहुंची। यहां आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर में डाॅ. दिनेश गर्ग को दिखाया। उन्होंने जांचें कराईं तो पता चला कि लिवर एप्सिस (लिवर का फोड़ा) फट गया था। लिवर में मवाद भर गया था। डाॅक्टर साहब ने कहा कि ऐसी स्थिति में तत्काल सर्जरी की जरूरत है। जान खतरे में है। आॅपरेशन का खर्च लाखों रूपये है। मगर इलाज के लिए पैसे नहीं थे। एक मां की फरियाद पर डाॅक्टरों ने फ्री में आॅपरेशन किया। अस्पताल ने एक रूपया भी नहीं लिया। 19 साल के राहुल को आज अस्पताल से छुट्टी दी गई।
डाॅ. भुवनेश ने जटिल सर्जरी कर ऐसे बचाई जान
इलाज करने वाले जीआई सर्जन डाॅ. भुवनेश शर्मा ने बताया कि राजपुर चुंगी के रहने वाले राहुल को पेट में तेज दर्द की शिकायत लेकर 14 अप्रैल को केपी इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज लाया गया था। आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर में डाॅ. दिनेश गर्ग ने देखा तो सामने आया कि पेट में लिवर एप्सिस (लिवर) का फोड़ा फट गया था। इससे लिवर में मवाद जमा हो गया। टीएलसी काउंट 30000 था। इसके बाद डाॅ. भुवनेश शर्मा ने सर्जरी की, जो डेढ़ घंटे तक चली। उन्होंने बताया कि आम तौर हाई रिस्स ओपन सर्जरी की जाती है, लेकिन हमने लेप्रोस्कोपी से ड्रेनेज किया। चार छोटे-छोटे छेद कर मरीज के पेट से करीब डेढ़ लीटर पस निकाला गया। चार दिन तक अंडर आॅब्जर्वेशन रखने के बाद आज राहुल को डिस्चार्ज कर दिया गया। वह अब पूरी तरह ठीक है। फाॅलोअप ट्रीटमेंट के लिए आना होगा।
मैंने बस एक डाॅक्टर के रूप में कर्तव्य निभाया: डाॅ. दिनेश गर्ग
वहीं डाॅ. दिनेश गर्ग का कहना है कि एक मरीज से कमिटमेंट होती है। मुंह नहीं फेर सकते। जितना हो सके करना चाहिए। मैंने बस एक डाॅक्टर के रूप में कर्तव्य निभाया।
मरीज को ठीक करना अस्पताल का पहला उद्देश्य: संजय अग्रवाल
केपी इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा कि केपी इंस्टीट्यूट चिकित्सा सेवाओं और समाज के बीच एक पुल की तरह है। इस अस्पताल को शुरू करने के पीछे हमारा मकसद सेवा के साथ संवेदना भी है।
जीवन बचाना एक बड़ा उत्तरादायित्वः अक्षत अग्रवाल
निदेशक अक्षत अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल की प्राथमिकता मरीज को ठीक करना है। किसी का जीवन बचाना एक बड़ा उत्तरादायित्व है और हम इससे मुंह नहीं मोड़ सकते।