Agra News: Shri Banke Bihari Satsang Samiti’s 20th Ekadashi Udyapan
Agra News: 55 Year old crohn’s disease patients treated in Agra Gastro Liver Center…#agranews
आगरालीक्स… अविश्वसनीय, 17 साल तक जिस बीमारी ने ‘खून पिया’ वो आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर आकर ऐसे गायब हो गई जैसे कभी थी ही नहीं, मरीज बोला किसी चमत्कार से कम नहीं, खो दी थी उम्मीद
आगरा में 55 वर्षीय रामकिशोर बदला नाम उस समय 38 साल के थे जब उनके शरीर में पहली बार एनीमिया (खून की कमी) हुई। आम तौर पर जैसा रोगी करते हैं रामकिशोर डाॅक्टर के पास पहुंचे, डाॅक्टर ने दवाएं लिखीं जिन्हें खाकर रामकिशोर ठीक हो गए। कुछ ही समय बाद रामकिशोर को दोबारा यही परेशानी हुई, वे एक बार फिर डाॅक्टर के पास पहुंचे लेकिन इस बार मामला अलग था। रामकिशोर को खून चढ़वाने की जरूरत भी पड़ी। खैर, पहले की तरह इस बार भी वे ठीक हो गए। रामकिशोर को मामले की गंभीरता का अंदाजा तब हुआ जब कुछ ही समय के अंतराल पर उनके शरीर में एक बार फिर खून की कमी हुई। इसके बाद रामकिशोर एक से दूसरे अस्पताल में भटकते रहे। कई डाॅक्टर बदले। तमाम जांचें कराईं। हर बार इलाज चला, खून चढ़ा। 17 साल तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। नतीजा यह हुआ कि रामकिशोर ने उम्मीद ही छोड़ दी और थक-हार कर घर बैठ गए। कुछ समय पहले ही उन्हें किसी परिचित से आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर का पता चला। रामकिशोर यहां आकर डाॅक्टरों से मिले तो उम्मीद जागी। डाॅक्टरों ने परीक्षण कराए। यूजीआई एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी के साथ ही सामान्य स्क्रीनिंग की गई लेकिन सटीक जानकारी नहीं मिली। लिहाजा डबल बैलून एंटेरोस्कोपी की गई। इसमें छोटी आंत के सबसे निचले हिस्से में अल्सर के साथ ही आंत थोड़ी सिकुड़ी होने के बारे में पता लगा। बायोप्सी कराई गई तो क्रोहन डिजीज के संकेत मिले। इसके बाद डाॅक्टरों ने इलाज शुरू किया तो मरीज की तबियत में सुधार देखने को मिला। रोगी के हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ गया और अब आगे उसे रक्त चढ़ाने की जरूरत भी नहीं होगी। ठीक होने के बाद मरीज काफी राहत में है। उसका कहना है कि चमत्कार से कम नहीं है। 17 साल लम्बा वक्त होता है। इलाज कराते-कराते उम्मीद ही खो दी थी। लेकिन डाॅक्टर भगवान हैं और आगरा गैस्ट्रो सेंटर वरदान है।
छोटी आंत की जांच में महारथ
आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर के डाॅ. विनीत चौहान ने बताया कि एजीएलसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एकमात्र ऐसा केंद्र है जो छोटी आंत की जांच के लिए एंटेरोस्कोपी की सुविधा रखता है। इससे जटिल मामलों की जांच भी आसानी से की जा सकती है।
डबल बैलून एंटरोस्कोपी वाला पश्चिमी उप्र का पहला सेंटर
सेंटर के ही डाॅ. समीर तनेजा ने बताया कि इस केस के साथ ही आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डबल बैलून एंटरोस्कोपी करने वाला पहला सेंटर बन गया है।
एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी की रिपोर्ट थी सामान्य
सेंटर के ही डाॅ. दिनेश गर्ग ने बताया कि छोटी आंत के जटिल मामलों को पता करने में डबल बैलून एंटेरोस्कोपी का बड़ा योगदान है। इस केस में भी एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी की रिपोर्ट सामान्य थी, लेकिन स्टूल में ब्लड आता था। डबल बैलून एंटेरोस्कोपी से बीमारी की पहचान हुई।
क्यों बेस्ट है एजीएलसी
वहीं डाॅ. पंकज कौशिक ने बताया कि इस तरह के मामले विशेषज्ञता क्यों जरूरी होती है इस महत्व को उजागर करते हैं। आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर अपने क्षेत्र में महारथ रखता है। यहां एक ही छत के नीचे सभी आधुनिक सुविधाएं और संसाधन मौजूद हैं।