आगरालीक्स….मोटापे और लापरवाही के कारण बढ़ रहे हर्निया के मरीज. डॉ. अभिजीत सेठ बोले—बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए भारत में सर्जन्स की संख्या को बढ़ाने की जरूरत
भारत में बेहतर चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए अधिक संख्या में सर्जन्स की जरूत है। जिससे हम सुपरस्पेशलिटी के सर्जन्स की संख्या को बढ़ा सकें। चिकित्सा क्षेत्र में मानवता व सिद्धांतो की शिक्षा की भी जरूरत है। फिजीकली शिक्षा के साथ डिजीटली शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यह वक्तव्य होटल जेपी पैलेस में एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया की 84वीं वार्षिक कार्यशाला एसीकॉन-2024 में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए नेशनल बोर्ड ऑफ एजूकेशन के निदेशक डॉ. अभिजात शेठ ने दिया।
कहा कि चिकिस्ता शिक्षा में एसोसिएशन के हर बेहतर सुझाव का स्वागत है। एएसआई के अध्यक्ष डॉ. प्रोबल नियोगी ने कहा कि आज के समय में सर्जरी में विद्यार्थी कम हो रहे हैं। नीट की परीक्षा में सौ लेगों में मात्र 1 ने सर्जरी को चुना। बाकी ने मेडिसनल ब्रांच को चुना। इसका कारण पता लगा कर सर्जरी को बढ़ाना देने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने एसोसेशन द्वारा ऑनलाइन, वेबीनार, सेमीनार कोर्स द्वारा सर्जरी में आधुनिक तकनीकों से प्रशिक्षित करके चिकित्सा क्षेत्र में योगदान प्र प्रकाश डाला। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एसके मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। एएसआई के सचिव डॉ. प्रताप सिंह एसोसिएशन की वार्षिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। मंच पर संजीव मिश्रा वीसी अटल बिहारी वायपेयी के वीसी, पूर्व यध्यक्ष एएसआई संजय जैन, सचिव एएसआई प्रताप वरूते, कोषाध्यक्ष एएसआई भवर लाल यादव, आयोजन सचिव डॉ. अमित श्रीवास्तव, डॉ. समीर कुमार, कोषाध्यक्ष डॉ. सुनील शर्मा, कार्यक्रम का शुभारम्भ सर्वधर्म प्रार्थना व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
सभी अतिथियों का स्वागत पटला पहनाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। संचालन आयोजन सचिव डॉ. समीर कुमार व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमित श्रीवास्तव ने किया। डॉ. मिश्री चीफ एडवाइजर को सम्मानित इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. अपूर्व चतुर्वेदी, डॉ. एचएल राजपूत, डॉ. रवि पचौरी, एसेन मेडिकल कालेज का प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता, डॉ. सुरेन्द्र पाठक, डॉ. राजेश गुप्ता, डॉ. मयंक जैन, डॉ. अत्कर्ष, डॉ. सोमेन्द्र पाल, डॉ. अनुभव गोयल, डॉ. अंकुर बंसल, डॉ. करन रावत, आदि उपस्थित थे।
इन्हें मिला लाइफ टाइम अटीवमेंट अवार्ड
आगरा। एएसआई के अध्यक्ष डॉ. प्रोबल नियोगी ने लाइफ टाइम अटीवमेंट अवार्ड से आगरा के डॉ. बीडी शर्मा, दिल्ली के डॉ. बीएमएल कपूर, वाराणासी के डॉ. एनएन खन्ना, को प्रदान किया गया। एएसआई के चीफ एडवाइजर डॉ. आरसी मिश्रा को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
गलत खान-पान कब्ज और फैंसी डॉयलेट बना रहे पाइल्स का रोगी
एक ओर जहां गलत जीवन शैली और शान-पान कब्ज का व फैंसी टॉयलेट में बीतने वाला धिक समय पाइल्स के रोगियों की संख्या में जाफा कर रहा है। अजमेंर मेडिकल कालेज के डॉ. श्याम भूत्रा ने बताया कि लाइफ स्टॉइल बदलने से पाइल्ट की समस्या भी बढ़ रहीं हैं। घर में खाना बनाना अब प्राथमिकता की सूची से बाहर हो गया है। रात को देर से सोना सुबह देर से जागना। खाने के समय पर लंच करना नई पीढी के स्वास्थ को बिगाड़ रहा है। तला भुना और बाहरी खाना खाने से कब्ज की बीमारी बच्चों में भी देखने को मिल रही है। वहीं आजकल फैंसी टॉयलेट में अखबार पढ़ने से लेकर घंटों मोबाइल चालने के कारण बैठे रहना पाइल्स की बीमारी बढ़ने का मुख्य कारण हैं। 3 मिनट से अधिक समय शौचालय में फालतू या कब्ज के कारण बिताने से नल रीजन में जोर पड़ता है। जिससे पाइल्स की समस्या बढ़ जाती है। इसके लिए फिबर युक्त और घर को सुद्ध खाना खाने के साथ समय पर खाना खाना और योग करना, प्रतिदिन टहलना भी बहुत जरूरी है।
गलत जीवन शैली और खान-पान ने बढ़ा दिए चार फीसदी हर्निया के मामले
नासिक से आए एब्डोमिनल वॉल रीकन्सट्रक्शन सर्जन्स कम्यूनिटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रमोद शिन्दे ने बताया कि गलत रहन सहन और खान-पान के कारण पिछले कुछ वर्षों में हर्नियां के लगभग चार गुना मामले बढ़ गए हैं। वहीं अब ऐसी जाली भी डाली जाने लगी है, शरीर के अन्दर दो वर्ष के अन्दर डिजॉल्व हो जाए। ऐसे उन लोगों में किया जाता है जिनमें दोबारा ऑपरेशन करने की सम्भावना (युवा महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान) होती है। वहीं त्वचा की सात परतों में से मांसपेशियों की बीच की परत में डाली जाने लगी है, जिससे ऑपरेशन फैलियर की सम्भावना काफी हद तक कम हो गई है। डॉ. प्रमोद शिन्दे ने बताया कि मोटापे और लापरवाही के कारण हर्नियां बड़ा हो जाने से दोबारा ऑपरेशन करने की सम्भावना बढ़ जाती है। जबकि प्रारम्भित स्थित (छोटे हर्निया) पर ही ऑपरेशन कराने पर सफलता अधिक रहती है। 20-60 उम्र के लोगों व महिलओं में गर्भावस्था के दौरान ऑपरेशन होने के कारण हर्निया के मामले अधिक है। वहीं नाभि और जांघ के हर्निया के मामले पेक्षाकृत अधिक हैं।