आगरालीक्स.. मैं पाकड़ का पेड़ था। दशकों पुराना। घटिया तिराहे पर महादेव मंदिर के ठीक सामने मेरा ठिकाना था, जो शुक्रवार शाम आए तूफान के बाद नहीं रहा। अब मेरी यादें शेष रह जाएंगी।
चारों ओर लगती थीं फलों की ठेल-ढकेल
पाकड़ की किस्म का होने के कारण मेरा मजबूत तना था, जिसका व्यास भी काफी था। मेरी विशालकाय भुजाएं हरे पत्तों से हमेशा लदी रहती थीं, जिसकी वजह से मंदिर परिसर से लेकर आसपास के नीचे घनी छांव बनी रहती थी। मेरे तने के इर्द-गिर्द चारों ओर फल वालों की ठेल-ढकेल लगी रहती थीं।
भोलेबाबा और हनुमान की आरती में होता था शामिल
मंदिर के ठीक सामने होने के कारण मैं भगवान भोलेनाथ और हनुमानजी समेत सभी देवताओं के दर्शन के साथ आरती में शरीक होता था। भक्तगढ़ पूजा करने के बाद मेरे सामने भी शीश नवाते थे। कुछ मेरी घनी छांव में आकर बैठा करते थे।
कभी बच्चों की धमा-चौकड़ी से लगता था मन
मैं पाकड़ का पेड जब छोटा था, तब ट्रैफिक इतना नहीं था। खटीकपाड़ा और मंडी सईद खां के बच्चे आकर मेरे नीचे धमा-चौकड़ी मचाने के साथ पीठ पर चढ़ जाते थे। शाम के समय यह मस्ती और ज्यादा होती थी।
तांगे-इक्के वाले भी पेड़ के नीचे सुस्ताते थे
दोपहर के समय बेलनगंज से लोहामंडी की ओर आने-जाने वाले तांगे और इक्के वाले कुछ देर सुस्ताते थे औऱ मंदिर के पास लगी प्याऊ से अपने घोड़ों को पानी पिलाते थे।
ट्रेफिक सिपाही के रूप में ताउम्र किया काम
हरीपर्वत चौराहे और सेंट जोंस कॉलेज चौराहे के ओर से आने वाले वाहन चालकों के लिए 24 घंटे में एक ट्रेफिक सिपाही के रूप में काम करता था। बेलनगंज की ओर आने वाले वाहन चालकों के लिए डिवाइडर के रूप में काम करता था, जिससे ट्रेफिक संचालन व्यवस्थित रहता था।
साक्षी रहा कई घटनाओँ का, जहरीली जल त्रासदी देखी
मैं क्षेत्र की कई घटनाओं का गवाह रहा। खासकर खटीकपाड़ा में 90 के दशक में हुई जहरीली जल त्रासदी सबसे बड़ी घटना थी। इसमें 16 लोगों की जान चली गई थी। दर्जनों लोग बीमार पड़े थे, उस समय प्रदेश के राज्यपाल मोतीलाल बोरा, मंडलायुक्त अनादिनाथ सहगल के साथ क्षेत्र के पैदल भ्रमण के दौरान कुछ समय के लिए मेरी छांव में रुके भी थे।
दर्जनों तूफान सहे पर अब नहीं झेल सका
इस बार की तपती दुपहरी में भी मेरी शीतलता में कोई कमी नहीं आई थी। शरीर बूढ़ा हो रहा था या तन कमजोर हुआ, पता नहीं चला। दर्जनों तूफान, आंधी बारिश झेल चुका था, लेकिन 17 जून की शाम को आए तूफान ने मुझे जड़ से उखाड़ दिया और मैं चिरनिंद्रा में विलीन हो गया.. भोलेबाबा की शरण और हनुमान जी के चऱणों में।
शनिवार को पाकड़ के पेड़ को हटाने का चला काम
पाकड़ का पेड़ शनिवार को हटाया जा रहा था। लोग पेड़ के तने काट रहे थे। पत्तों को भी लोग ले जा रहे थे। नगर निगम के ट्रैक्टर और क्रेन रास्ता साफ करने में जुटी थी। पेड़ के नीचे कल एक रिक्शा आ गया था, जिस पर सामान लदा हुआ है। लेकिन किसी को चोट नहीं आई। पेड़ सड़क पर घटिया की ओर सीधा गिरा, पास की दुकान और मंदिर को कोई क्षति नहीं पहुंची। हालांकि जाम की समस्या जरूर रही।
अब क्या होगा
पाकड़ का पेड़ टूटने के बाद मलबा साफ होने पर ट्रेफिक की समस्या हो सकती है क्योंकि वाहन चालक इधर से उधर होंगे। ठेल-ढकेल वालों को ठिकाना बदल सकता है। समस्या के निदान के लिए कुछ लोग उसी स्थान पर दूसरा पेड़ लगाने की बात कर रहे थे तो कुछ गोल चौराहा बनाने की।