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Agra News: Workshop organized for parents on World Autism Day in Agra…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के पेरेंट्स को बताया कि आपका बच्चा मंदबुद्धि नहीं है. ऑटिज्म एक दिमागी कंडीशन है उसे कैसे हैंडिल करना है, यह आपको सीखना है…
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे मंदबुद्धि नहीं होते। ऑटिज्म दिमाग की एक कंडीशन है, कोई बीमारी नहीं। इस कंडीशन को हमें कैसे हैंडिल करना है और उसके साथ हम कैसे जीयें, यह ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को बच्चों को सिखाना है। लेकिन समाज को जागरूक किए बिना हम इसमें सफल नहीं हो सकते। बच्चों को थैरपी, अभिभावकों को ट्रेनिंग देने के साथ समाज को जागरूक करना बेहद जरूरी है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को एक सामान्य जीवन जीने का माहौल प्रदान करना और बिना किसी हीन भावना के उन्हें स्वीकारना समाज की जिम्मेदारी है।
आध्यान्त फाउंडेशन द्वारा भोगीपुरा शाहगंज में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जहां फाउंडेसन की निदेशक डॉ. रेनू तिवारी व सेंट जॉन्स कालेज के मनोविज्ञान विभाग की डॉ. प्रियंका मैसी ने अभिभावकों को ऑटिज्म के कारण, लक्षण व इलाज के बारे में जानकारी दी। साथ ही अभिभावकों के जिज्ञासा भरे सवालों के उत्तर भी दिए। डॉ. रेनू ने ऑटिज्म के कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वंशानुगत के साथ खान-पान के माद्यम से शरीर में लेड की अधिकता, मोबाइल टॉवरों से पर्यावरण में बढ़ती इलेक्ट्रोमैग्नेटिग तंरगों का प्रदूषण इसका मुख्य कारण है। 100 में से दो बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित है। पूरी तरह से ठीक तो नहीं लेकिन सही इलाज और थैरपी के जरिए यह सामान्य जीवन जी सकते हैं। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की तस्वीर के समक्ष चतुरा देवी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से रंजीत सामा, प्रमोद वर्मा, पंकज तिवारी, जेएस इंदौलिया, सतेन्द्र तिवारी, संजय दुबे, धीरज आदि मौजूद थे।
ये होते हैं लक्षण…
-बच्चे के नाम से पुकारने पर पलटकर न देखना।
-अन्य बच्चों के साथ मिक्स-अप न होना, अकेला खेलना।
-उत्तेजित होने पर हाथ हिलाना, कूदना या स्पनिंग जैसे एक्शन करना।
-पंजे पर चलना। जिद्दी और गुस्सैल होना। देर से बोलना।
-शोर सुनने पर अपने कानों पर हाथ रख लेना।
-किसी वस्तु के लिए अंगुली से इशारा करने के बजाय अन्य व्यक्ति के हाथों को उस ओर ले जाना।
-खिलौनों से खेलने के बजाय उन्हें लाइन से लगाते रहना या पहिया घुमाना। खिलौनों को मुंह में डालना।
-खाने पीने की वस्तुओं को प्रयोग करने से पहले सूंघना।