अरविंद और सुनीता को अपने मन की बात जुबां पर लाने में समय लगा। हालांकि, इस दौरान दोनों अपनी आंखों से एक-दूसरे की भावनाएं समझ रहे थे। सुनीता परिवार संग दिल्ली में ही रहती थी और केजरीवाल हरियाणा के हिसार से आए थे। दोनों एक ही जाति से थे और राजस्व सेवा में चयनित हो चुके थे इसलिए दोनों के परिवार वालों ने आसानी से इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया। अगस्त, 1994 में दोनों की सगाई हो गई। नवंबर में प्रशिक्षण के दौरान दोनों विवाह बंधन में बंध गए। 1995 में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद दोनों दिल्ली आ गए और यहीं बस गए। शादी के एक साल बाद हर्षिता के रूप में बेटी का जन्म हुआ। 2001 में उनके घर में बेटे का जन्म हुआ, इसका नाम उन्होंने पुलकित रखा।
केजरीवाल ने जब आइआरएस की नौकरी छोड़ देशसेवा के लिए कुछ करने की इच्छा जताई तो सुनीता ने हामी भरने में तनिक भी देर नहीं लगाई। दोनों के बीच की समझ ही है कि पैसों की चिंता छोड़कर केजरीवाल अपने काम में पूरी तरह जुटे हुए हैं। शादी से पहले प्रशिक्षण के दिनों की तरह ही आज भी केजरीवाल दंपती आपसी समझ और समर्पण से एक-दूसरे का बखूबी साथ निभा रहे हैं।
डायबिटीज से पीड़ित केजरीवाल के लिए सुनीता को चुनावी मौसम में केजरीवाल के खाने के लिए बेहद सतर्क रहना पड़ा। सुनीता दफ्तर जाने से पहले हर दिन खाना तैयार करती थीं। वह पति के सहयोगियों को इस बात को लेकर भी सतर्क कर देती थीं कि उन्हें खाने के बाद उन्हें गर्म पानी ही पीना है। खास बात यह है कि इसे याद रखने के लिए वह टिफिन के साथ एक नोट लगा देती थीं। केजरीवाल की खांसी को लेकर चिंतित सुनीता यह सुनिश्चित करना चाहती थीं कि उनके पति गर्म पानी ही लें।
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