Chandrayaan-3 Safe Landing Video: 14 days of Lander & Rover research on south poll of Moon #Chanfrayan3
नईदिल्लीलीक्स..( एक मिनट में पूरी खबर) ..चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सूरज निकलते ही चंद्रयान 3 ने लैंडिंग की। चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन बराबर, 14 दिन में किस तरह चंद्रमा पर रिसर्च करेंगे लैंडर और रोवर जानें। वीडियो के लिए क्लिक करें
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बुधवार को सूरज निकलेगा, पृथ्वी के 14 दिन के बराबर चंद्रमा का एक दिन होता है। इस तरह से चंद्रमा पर 5 सितंबर तक दिन रहेगा और चंद्रयान के लैंडर और रोवर 14 दिन तक चंद्रमा पर रिसर्च करेंगे।
लैंडर और रोवर एक दूसरे के फोटो लेकर भेजेंगे
बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा पर चंद्रयान की सफल लैंडिंग हुई, चंद्रयान 3 से लैंडर विक्रम अलग होकर चंद्रमा की सतह पर पहुंच गया। रैंप के जरिए लैंडर से छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा, लैंडर और रोवर एक दूसरे के फोटो लेंगे और इसरो को भेजेंगे। इसमें लैंडिंग के बाद करीब तीन घंटे लगेंगे।
इसरो से कमांड मिलते ही शुरू हो जाएगी रिसर्च
लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह से एक दूसरे के फोटो भेजेंगे, इसके बाद इसरो से कमांड मिलते ही रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर चलेगा। रोवर चंद्रमा पर 500 मीटर के इलाके में चहलकदमी कर पानी और वहां के वातावरण के बारे में इसरो को बताएगा। चंद्रयान 3 में स्वदेशी प्रोपल्शन माडयूल लगाया गया है, यह जरूरत पड़ने पर इसरो के साथ कम्युनिकेशन में मदद करेगा।
चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो की छाप
चंद्रमा पर 500 मीटर के क्षेत्र में रोवर चहलकदमी करेगा, इस दौरान चांद की
मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ और इसरो के लोगों की छाप भी छोड़ेगा।
चंद्रमा पर इन चीजों के लिए की जाएगी रिसर्च
विक्रम लैंडर में चार पैलोडस लगे हैं, ये चंद्रमा पर चार अलग अलग तरह की रिसर्च करेंगे। लैंडर विक्रम चांद की सतह पर प्रजान रोवर से संदेश लेगा। चंद्रमा की सतह पर इन चार पेलोड को लेकर रोवर चहलकदमी करेगा। विक्रम लैंडर रोवर से संदेश लेकर इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क यानी आईडीएसएन बैंगलुरु को भेजेगा। विक्रम लैंडर से संदेश लेने में समस्या आने पर चंद्रयान 3 के प्रोपल्शन माडयूल और चंद्रयान 2 के आर्बिटर की भी मदद ली जाएगी।
पेलोड वन रंभा -यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा
पेलोड टू चास्टे -यह चांद की सतह पर गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा
पेलोड थ्री- इल्सा यह लैंडिंग साइट के आस पास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा
पेलोड फोर -लेजर रेस्ट्रोरिफ्लेक्टर एरे यह चांद की डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।