Agra News: Recruitment of security personnel and security supervisor in
Earthquakes hits again Tajnagari
आगरालीक्स…..आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा सहित कानपुर और दिल्ली में भूकंप के झटकों से लोगों में भगदड मच गई। एसएन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर और मरीज वार्ड से बाहर निकल आए। स्टोरी बिल्डिंग से लोग बाहर निकल आए और खुले में खडे हो गए। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि बिल्डिंग हिल गई और लोगों का सिर घूम गया। करीब 12 बजकर 40 मिनट पर आए भूकंप के झटकों का केंद्र नेपाल रहा है। रिएक्टर स्केल पर 7 .1 तीव्रता है।
आगरा में कमला नगर और संजय प्लेस में सबसे ज्यादा झटके लगे हैं, चंद सेकेंड के लिए दो बार लगे झटके से लोग बाहर निकल आए। कमला नगर में बैंक, शोरुम और बहुमंजिला इमारतें खाली हो गई हैं।
भोपाल के आइसेक्ट विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सूर्यांशु चौधरी ने बताया कि 25 अप्रैल को भूकंप के दौरान पृथ्वी में कोई बड़ी दरार नहीं आई थी, इसी कारण इसके आने की संभावना बनी रही। पृथ्वी में कोई बड़ी दरार न आने के कारण धरती के अंदर से गैस तथा ऊर्जा के अन्य कारक निकल नहीं पाते हैं। जब तक यह ऊर्जा जमीन से बाहर निकलेगी नहीं तब तक भूकंप की संभावना बनी रहेगी। उन्होंने आज भूकंप आने का भी यही कारण माना। इससे पहले नेपाल में जिस स्थान पर भूकंप का केंद्र था, उसके आसपास भूगर्भ के अंदर नौ महीने से प्लेटों के खिसकने से उथल-पुथल चल रही थी। वीक जोन (भूकंप का केंद्र रहे) से कुछ रेडान गैसों का उत्सर्जन जारी था। छह अप्रैल को यह प्रक्रिया तेज होने पर सेटेलाइट की मदद से पकड़ में आई, तो अध्ययन शुरू हुआ। वहीं, 23 अप्रैल को भूगर्भीय उथल-पुथल चरम पर पहुंच चुकी थ
भूकंप के बाद लोगों को अभी तीन दिन तक सतर्क रहना होगा। सूर्यांशु चौधरी ने बताया भूगर्भ की प्लेटों को स्थिर होने में तीन दिन का समय लगता है। प्लेटों का स्थिर होना इस पर निर्भर करता है कि पृथ्वी अपनी कितनी ऊर्जा निकाल चुकी और कितनी अभी बाकी है। इस प्रक्रिया के दौरान झटके फिर लग सकते हैं।
भूगर्भ के अंदर वीक जोन में रेडान गैसों का उत्सर्जन होता है। यह गैसें वायुमंडल के साथ रासायनिक क्रिया करतीं हैं, जिससे वायुमंडल के तापमान, उसकी स्थैतिक ऊर्जा में परिवर्तन मिलता है। वैज्ञानिक इसी के आधार पर भूकंप और उसके केंद्र का अनुमान लगाते हैं।