ताजगंज श्मशान घाट को स्थानांतरित किए जाने के मामले में सोमवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने ताजगंज श्मशान घाट को स्थानांतरित किए जाने के बजाय इसे और आधुनिक बनाने के लिए प्रदेश सरकार से कहा है, जिससे कार्बन का उत्सर्जन कम हो और ताजमहल को नुकसान ना हो। इसके विस्त्रत रिपोर्ट प्रदेश सरकार को छह सप्ताह में देनी है।
ताजमहल को नुकसान होने का कोई प्रमाण नहीं
इस मामले में प्रदेश सरकार की तरफ सेे एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह ने कहा कि ताजगंज श्मशान घाट पर 1885 से दाह संस्कार हो रहे हैं, इसे स्थानांतरित करने का मतलब है कि हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाना। उन्होंने दलील दी कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि ताजगंज श्मशान घाट से उठने वाले धुआं से ताजमहल का रंग बदल रहा है। प्रदेश में चुनाव होने को हैं, ऐसे में यम मुददा राजनीतिक विवाद का बडा कारण बन सकता है।
जस्टिस कूरियन जोसेफ ने किया था आग्रह
सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के एक जज जस्टिस कूरियन जोसेपफ परिवार सहित आगरा आए थे। उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को पत्र लिखकर ताजगंज श्मशान घाट से उठने वाले धुआं से ताजमहल को होने वाले नुकसान के लिए आगाह किया था। इसके बाद इसे संज्ञान में लिया गया।
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