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Emotional News: Woman Manager came in search of their parents from America…#upnews
आगरालीक्स…अपने माता—पिता की तलाश में अमेरिका से आई 26 साल की महोगनी. स्टेशन पर लावारिस मिली थी, 21 साल पहले अमेरिकी सिंगल मदर ने लिया था गोद…भावुक कर देगी महोगनी की ये तलाश….
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक 26 साल की युवती महोगनी कभी चारबार स्टेशन जाती है तो कभी अनाथालय. हाथ में अपनी पांच साल की फ्रॉक पहने हुई तस्वीर है और आंखों में तलाश है अपने असली माता—पिता की. महोगनी अमेरिका की रहने वाली है लेकिन उसकी जो कहानी है वह लोगों को भावुक कर देगी.
23 साल पहले की कहानी
वर्ष 2000 में तीन साल की एक बच्ची रेलवे पुलिस को लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर लावारिस हालत में मिली थी. बच्ची के मां—बाप की तलाश की गई लेकिन कुछ पता नहीं चला. इसके बाद रेलवे पुलिस ने बच्ची को लीलावती मुंशी निराश्रित बालगृह भेज दिया. यहां उसका नाम राखी रखा गया. दो साल इसी बालगृह में राखी के बीते कि एक अमेरिका के मिनसोटा की रहने वाली कैरोल ब्रांड नाम की एक महिला ने यहां आकर राखी को गोद ले लिया. पांच साल की राखी अमेरिका चली गई जहां उसका नाम महोगनी रखा गया. उसे गोद लेने वाली महिला कैरोल ब्रांड सिंगल मदर थी. लेकिन अमेरिका ले जाने के बाद उस महिला का रवैया बच्ची के प्रति बदल गया. लेकिन महोगनी सबकुछ बर्दाश्त करती रही. आज से करीब पांच साल पहले महोगनी की अमेरिकन मां कैरोल ब्रांड का निधन हो गया. लेकिन निधन से पहले कैरोल ने महोगनी को बता दिया कि वह उसकी बेटी नहीं है उसने उसे लखनऊ से से वर्ष 2002 में गोद लिया था. उन्होंने उसके बचपन के कुछ कागल और फोटो भी दिए जिसके आधार पर महोगनी अब लखनऊ में अपने माता—पिता की तलाश में है.
21 साल बाद अपने मां बाप की तलाश में महोगनी
महोगनी के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था लेकिन उसने भारत आकर अपने असली मां—बाप की तलाश के लिए पैसे जुटाए. वह एक नामी कंपनी में मैनेजर है. महोगनी इस समय लखनऊ में है और अपने असली माता—पिता, भाई—बहन या किसी रिश्तेदार की तलाश में है. लखन पहुंचकर वह सबसे पहले उसी लीलावती मुंशी अनाथ आश्रम में पहुंची जहां उसे गोद लिया गया था. वह चारबाग स्टेशन भी गई जहां वह लावारिस हालत में मिली थी. जीआरपी से भी मुलाकात की और अपने बारे में जानकारी देकर रिकार्ड निकालने की बात कही लेकिन अभी तक उसे कुछ नहीं मिल पाया है. अब वह सोशल मीडिया के जरिए अपने माता—तिपा की तलाश की कोशिश कर रही है.
आर्टिस्ट दोस्त और कैब ड्राइवर राजकमल कर रहे मदद
महोगनी का कहना है कि वह इंडिया ट्रैवल टूरिस्ट वीजा पर आई है. इसलिए जल्द से जल्द अपने असली माता पिता से मिलना चाहती हूं क्योंकि मेरा वीजा 9 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. इसके बाद अमेरिका चली जाउंगी. महोगनी का कहना है कि मम्मी—पापा की खोज के लिए अब मीडिया ही उसका आखिरी जरिया है. महोगनी का कहना है कि वह 12 सितंबर को दिल्ली पहुंची जहां से वह लखनऊ आ गई. उसके पास अपने कुछ पुराने फोटो है. वह अपने दोस्त क्रिस्टोफर के साथ यहां आई है कई टैक्सी बुक की लेकिन भाषा न समझने की वजह से कोई नहीं मिला. लेकिन उबर टैक्सी चलाने वलो लखनऊ के राजकमल पांडे को कुछ इंग्लिश समझ आती है और वह हर उस जगह उसे लेकर जा रहे हैं जहां महोगनी जाना चाहती है. इस मामले में लीलावती मुंशी निराश्रित बालगृह की अधीक्षिका माया हंस का कहना है कि देा बार महोगनी यहां आ चुकी है. 6 नवंबर 2000 को उसे बालगृह में लाया गया था. इसके बाद अमेरिकी मूल की महिला ने उसे गोद लिया था. माया हंस ने बताया कि वह बाल गृह से 1992 से जुड़ी हैं. लेकिन हमारा काम सिर्फ केयर टेकिंग का है. यहां से कई बच्चियों को गोद लिया गया है. जिस समय की बात महोगनी कर रही है उस समय कंप्यूटर सिस्टम नहीं था लेकिन फिर भी बाल कल्याण परिषद उसकी पूरी मदद कर रहा है.