Handicapped Jitendra wife give birth baby child at Malhotra Nursing Home Agra
आगरालीक्स …आगरा के 24 वर्षीय जितेंद्र की कहानी रूला देगी। आज से नौ महीने पहले जिस जितेंद्र ने एक हादसे में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे अब नौ महीने बाद उसी जितेंद्र के यहां खुशियों की किलकारी गूंजी है। जितेंद्र की पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया है। दिव्यांग जितेंद्र के परिवारीजन इस बेटी को ईश्वर द्वारा प्रदान दिव्य शक्ति मान रहे हैं, जो न सिर्फ जितेंद्र को बल्कि उसके पूरे परिवार को आशाओं के साथ जीने का हौसला देगी।
कुछ समय पूर्व समाजसेवी संस्था लीडर्स आगरा ने एक समारोह आयोजित कर दिव्यांगों को ट्राई साइकिल प्रदान की थीं। इनमें से एक 24 वर्षीय जितेंद्र की पत्नी नीतू गर्भवती थी। कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं पूर्व मेयर एवं अब उत्तराखंड की महामहिम राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. नरेंद्र मल्होत्रा से नीतू को बिना फीस परामर्श एवं प्रसव कराने का आग्रह किया था। प्रसव पीडा उठने पर नीतू को डा. नरेंद्र मल्होत्रा के एमजी रोड स्थित मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम लाया गया। यहां डा. मल्होत्रा और उनकी टीम में डा. नीलम माहेश्वरी की मदद से नीतू ने बेटी को जन्म दिया। इसके बाद से ही परिवार में खुशी का माहौल है। परिवारीजन इस बिटिया को दिव्य शक्ति मान रहे हैं, जो उनके घर में खुशी बनकर लौटी है। तकरीबन दो माह पूर्व किया अपना वादा पूरा करने और समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए बुधवार को लीडर्स आगरा के पदाधिकारियों में महामंत्री सुनील जैन, कोषाध्यक्ष वंदना सिंह, वीरेंद्र सिंह मेड़तवाल, ओमप्रकाश मेड़तवाल आदि ने एमजी रोड स्थित मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम में समारोह आयोजित कर डा. नरेंद्र मल्होत्रा को सम्मानित किया।
दिव्यांग को रोजगार और पैर लगवाने का प्रयास जारी….
हादसे में पैर गंवाने के बाद से जितेंद्र बेरोजगार है। समारोह के दौरान लीडर्स आगरा कीं वंदना सिंह ने घोषणा की कि वे दिव्यांग जितेंद्र को रोजगार दिलाएंगी। घर के नजदीक ही किराने की दुकान वह कर सकता है। वहीं कृत्रिम पैर लगवाने के लिए जयपुर फुट का प्रयास किया जा रहा है।
पूर्व में मजदूरी करता था जितेंद्र…..
दिव्यांग जितेंद्र ने बताया कि पूर्व में वह मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। इसी काम से वह उन्नाव जा रहा था कि जिस वाहन में वह सवार था उसमें पीछे से बस ने टक्कर मार दी और हादसे में उसने अपने पैर गंवा दिए। इसके बाद से ही परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। पिता मोहर सिंह पहले रिक्शा चलाते थे, लेकिन अब उनकी उम्र हो चुकी है। ऐसे में परिवार का भरण-पोषण करने का जिम्मा उस पर है। जितेंद्र की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी सिविन्या अब दो साल की हो गई है। एक और बेटी होने के बाद उनकी पढ़ाई लिखाई और भविष्य के लिए भी चिंता है। ऐसे में लीडर्स आगरा और डा. नरेंद्र मल्होत्रा से मिले सहयोग ने उसे और उसके परिवार को एक नई उर्जा प्रदान की है।