कान्सेप्ट फोटो
नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ प्रोफेशनल स्टडीज, भाग्य नगर आगरा से एटा निवासी अर्चना यादव एमबीए हॉस्पिटल मैनेजमेंट सेकेंड ईयर की छात्रा थी, वह इंस्टीटयूट के हॉस्टल में ही रह रही थी। साथ ही पारस हॉस्पिटल नेशनल हाईवे में नर्सिंग स्टाफ थी। रात की डयूटी कर अर्चना शनिवार सुबह आठ बजे हॉस्टल में पहुंची, नाश्ता करने के बाद अपने कमरे में चली गई। इंस्टीटयूट संचालक अजय यादव का कहना है कि उसके कमरे में छह छात्राएं थी, 10 30 बजे वह अपने बिस्तर से उठी और पर्स में से एक इंजेक्श निकाला, इंजेक्शन लगाने के बाद वह बिस्तर पर बेहोश होकर गिर गई। साथी छात्र छात्राएं उसे लेकर पारस हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन तब तक मौत हो चुकी थी।
इंजेक्शन लगाते ही मौत
पारस हॉस्पिटल के संचालक डॉ अरिंजय जैन का कहना है कि छात्रा के कमरे से नियोबैक इंजेक्शन की खाली वाइल मिली हेै, इसे मरीज को वेंटीलेटर पर रखते समय लगाया जाता है। इस इंजेक्शन से शरीर की मांसपेशिया रिलेक्स हो जाती है, इसके बाद क्रत्रिम आॅक्सीजन दी जाती है। इस केस में इंजेक्शन लगाने के बाद मांसपेशिया शिथिल पडने पर सांस लेने बंद होने पर मौत होने की आशंका है।
छात्रा पर कैसे पहुंचा इंजेक्शन, मौत का क्या है कारण
छात्रा पारस हॉस्पिटल में नर्सिंग स्टापफ है, वह जानती थी कि इंजेक्शन लगाने से मौत हो सकती है, इस तरह के इंजेक्शन भी हर किसी को नहीं दिए जाते हैं। ऐसे में वह हॉस्पिटल से इंजेक्शन लेकर आई होगी, आखिर इंजेक्शन क्यों लगाया, यह आत्महत्या है तो इसका कारण क्या हो सकता है, थाना न्यू आगरा पुलिस छानबीन में जुटी हुई है।
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