There are many auspicious coincidences on Shri Hanuman Janmotsav on
Raja ki Mandi railway station was the beating of the city, now it has become immaculate, the sounds of Agra’s petha and tea hot
आगरालीक्स… आगरा शहर की कभी धड़कन रहा राजा की मंडी रेलवे स्टेशन अब बेरौनक है। बुक स्टॉल, कैंटीन, पेठे की ठेलें, साइकिल स्टैंड खत्म हो गए हैं। रेलवे प्रशासन भी उदासीन।
सर्वाधिक गुलजार रहने वाला था स्टेशन
आगरा छावनी रेलवे स्टेशन के बाद राजा की मंडी रेलवे स्टेशन अपने समय का सर्वाधिक गुलजार रहने वाला स्टेशन था।
जैन साहब के बुक स्टॉल पर बुद्धिजीवियों का जमावड़ा
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पर मुख्य गेट से घुसते ही प्लेटफार्म नंबर दो पर बाईं तरफ ए.एच. व्हीलर्स का बुक स्टॉल दिलीप जैन और मुन्नालाल जैन संचालित करते थे। बुक स्टॉल पर शाम के समय आगरा के पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, व्यवसाइयों, राजनेताओँ का जमावड़ा लगा रहता था। चाय की चुस्कियों के बीच देश-विदेश की चर्चाएं हुआ करती थीं।
कैंटीन की सुविधा अब नहीं रही, स्टेशन पर रहता सन्नाटा
कैंटीन में सभी तरह का खाना यात्रियों के लिए उपलब्ध रहता था। स्टेशन पर ट्रेनों के आने के समय प्लेटफार्म पेठा… पेठा… आगरा का पेठा, चाय गरम… की आवाजों से गूंज उठता था। किताबों की ट्रॉली प्लेटफार्म नंबर एक पर घूमती थी, जिस पर यात्री पत्र-पत्रिकाएं और उपन्यास खरीदा करते थे।
दैनिक यात्रियों की पसंद का था स्टेशन
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन 70 से 90 के दशक तक दैनिक यात्रियों और दिल्ली से माल लाने वाले व्यापारियों का भी मुख्य केंद्र था। सुबह से पांच बजे से ही मथुरा, पलवल होडल, दिल्ली जाने वाले दैनिक यात्रियों का आना शुरू हो जाता था। इस वजह से सुबह स्टेशन पर रौनक रहती थी। शाम के समय इंटरसिटी से दैनिक यात्री आते थे, अथवा अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों से अलग-अलग आ जाया करते थे।
साइकिल स्टैंड भी खत्म, पहले रहती थी भीड़
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन का साइकिल स्टैंड भी उस समय सबसे ज्यादा चलने वाला स्टैंड था, जहां सुबह जाने वाले यात्री अपने वाहनों को खड़ा करते थे और शाम को लेकर जाया करते थे। इसमें सबसे ज्यादा संख्या साइकिल की हुआ करती थी। दूसरे स्थान पर स्कूटर और बाइक हुआ करती थीं।
वर्ष 1989 में हुआ था बड़ा रेल रोको आंदोलन
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन शहर के बीचों-बीच स्थित होने के कारण उस समय प्रमुख और एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव के साथ राजा की मंडी स्टेशन पर आगरा लिखवाने और यात्री सुविधाओं के लिए रेल रोको आंदोलन संयोजक दिलीप कुमार जैन के नेतृत्व में शुरू किया गया था।
रेल रोको आंदोलन के बाद बढ़ी थीं यात्री सुविधाएं
आंदोलन के बाद कुछ ट्रेनों का ठहराव और यात्री सुविधाएं तो मुहैया हुईं लेकिन राजा की मंडी स्टेशन पर आगरा लिखे जाने का प्रस्ताव नहीं हो सका। यदि राजा की मंडी स्टेशन पर आगरा लिखा हो तो काफी संख्या में देश-विदेश से ट्रेनों में आने वाले यात्री यहां उतर सकते हैं। रेल रोको आंदोलन में रवींद्र कुमार वर्मा, हरी सक्सेना चिमटी, सुरेंद्र कटारा, सुनील जैन पूर्व पार्षद समेत तमाम लोगों ने योगदान दिया था।
क्यूवी के छात्र-छात्राओं की होती थी धमाचौकडी
राजा की मंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर
क्वीन विक्टोरिया कॉलेज के प्राइमरी औऱ जूनियर सेक्शन में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं के लोहामंडी और राजा मंडी कॉलोनी में रहने वाले अभिभावक बच्चों को स्टेशन से होकर ही क्यूवी में लेकर जाते थे और छोड़कर आते थे। बड़े छात्र-छात्राएं भी जाते और प्लेटफार्म पर धमा-चौकड़ी मचाते रहते थे। कोई रोका-टोकी नहीं होती थी। देहलीगेट के दुकानदार अपनी साइकिल लेकर भी बड़े आराम से निकल जाते थे।
अगले अंक में ( कमाई करोड़ों में लेकिन यात्री सुविधाएं दो कौड़ी की भी नहीं, स्टेशन नहीं अब रह गया है हॉल्ट)