आगरालीक्स… आपके पेट (अमाशय) की क्षमता एक लीटर है, इसे आॅपरेशन कर 100 एमएल किया जा सकता है, जिससे कम खाएं और मोटापे के शिकार ना हों, आगरा में रविवार को तीन दिवसीय कम्बाइंड नेशनल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कांफ्रेंस (9th SELSICON 2016 & 9th IHSCON 2016) के समापन पर होटल क्लार्क शिराज में बेरिएट्रिक सहित गंभीर बीमारियों में लेप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन पर चर्चा की गई।
एम्स, दिल्ली के निदेशक प्रो एमसी मिश्रा ने बताया कि मोटापे से 12 साल की जिंदगी कम हो जाती है। ऐसे में जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 35 से अधिक है, साथ में मधुमेह और हृदय रोग है तो बेरिएट्रिक सर्जरी करानी चाहिए। वहीं, जिन लोगों की बीएमआई 40 से अधिक है उनके लिए यह सर्जरी जरूरी है। उन्होंने बताया कि बेरिएट्रिक सर्जरी के बाद 85 फीसद तक मधुमेह और हृदय रोग की दवाएं कम हो सकती हैं। सेल्सी के सचिव डॉ पवनिंदर ने बताया कि मोटापा कम करने के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी में अमाशय की क्षमता को एक लीटर से घटाकर 100 से 200 एमएल कर दिया जाता है। जिससे कम खाना खाया जाए। वहीं, कुछ मरीजों में छोटी आंत को बाईपास कर दिया जाता है, इससे अमाशय से सीधा खाना बडी आंत में पहुंचता है और यह शरीर में अवशोषित नहीं होता है। अमाशय की क्षमता कम होने पर कम भोजना खाया जाता है, इसके चलते बेरियाट्रिक सर्जरी कराने के बाद डेढ से दो किलो हर सप्ताह वजन कम होता है, इस तरह एक महीने में छह से आठ किलो वजन कम हो जाता है।
आराम तलब जिंदगी और पेट में ठूसे जा रहे खाना
कम खाएं, ज्यादा बार खाएं
जिंदगी आराम तलब होती जा रही है, शारीरिक श्रम बहुत कम हो गया है। इसके चलते मोटापा बढ रहा है। एक सीट पर बैठक काम करने वाले लोगों को एक दिन में 1200 से 1500 कैलोरी की जरूरत होती है। वहीं, जो लोग शारीरिक परिश्रम करते हैं उन्हें 1500 से 2000 कैलोरी प्रति दिन चाहिए। जबकि अधिकांश लोग शरीर को जितनी कैलोरी की जरूरत है, उससे ज्यादा खाना खा रहे हैं। इसमें भी फास्ट फूड का सेवन ज्यादा हो रहा है, इससे बच्चे भी मोटापे के शिकार हो रहे हैं। डॉ. पवेनिन्द्र लाल ने बताया कि एक साथ अधिक खाने के बजाय कम और ज्यादा बार खाना चाहिए।
18 से कम और 65 की उम्र के बाद न कराएं सर्जरी
बेरियाट्रिक सर्जरी ग्रोइंग एज (18 साल की उम्र से पहले) और 65 साल की उम्र के बाद नहीं करानी चाहिए। यदि डॉक्टर की सलाह न मानी जाए तो बेरियाट्रिक सर्जरी कराने के कुछ साल बाद अमाशय की क्षमता खुद ब खुद बढ जाती है।
रविवार दोपहर में कांफ्रेंस का समापन हुआ
तीन दिवसीय कम्बाइंड नेशनल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कांफ्रेंस (9th SELSICON 2016 & 9th IHSCON 2016) के समापन होटल क्लार्क-शीराज में रविवार को किया गया। आर्गनाइजिंग कमेटी के पैर्टन प्रो. एसडी मौर्य ने डेलीगेट्स को धन्यवाद और आर्गनाइजिंग कमेटी को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। कांफ्रेंस में लगभग 100 रिसर्च पेपर पढ़े गए और 19 पोस्टर प्रिजेन्टेसन हुआ। पहली बार सेल्सी क्वीज का भी आयोजन किया गया।
ये रहे मौजूद
आर्गनाइजिंग कमेटी के पैर्टन प्रो. एसडी मोर्या आर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. अपूर्व चतुर्वेदी, आयोजन सचिव अमित श्रीवास्तल व समीर कुमार कार्यक्रम में डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. एचएल राजपूत, डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. रवि गोयल, डॉ. भूपेन्द्र कुमार, डॉ. सिद्धार्थ धर, डॉ. रवि पचौरी, डॉ. शरद गुप्ता, डॉ. भुपेन्द्र सिंघानियां, डॉ. अंकुर बंसल, डॉ जगत पाल आदि उपस्थित थे।
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