आगरालीक्स…सुबह बागवानी और रात को टीवी देखने के बाद सात घंटे की गहरी नींद, सफल होने के लिए टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी है । युवा सीख सकते हैं, जानिए, आगरा के डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा का ओटी टेबल से लेकर गपशप करने का टाइम मैनेजमेंट। #successstory# #drnarendramalhotra#
समय का चक्र अपनी गति से चल रहा है, लेकिन क्या आप अपने समय का सदुपयोग करते हैं। अगर नहीं तो आपके लिए समय चल नहीं रहा बल्कि भाग रहा है। जो लोग समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल नहीं पाते वो अक्सर पिछड़ जाते हैं। यह कहना है देश के ख्याति प्राप्त स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा का।
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कौन हैं डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा
बात गायनेकोलाॅजी की हो और डाॅ. मल्होत्रा दंपति का नाम न आए यह तो असंभव है। उत्तर प्रदेश में पहले निजी नर्सिंग होम की शुरूआत का श्रेय भी डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा के दादा जी राय बहादुर डाॅ. एसएन मल्होत्रा को जाता है। पिता जी और मां डाॅ राजेंद्र मोहन मल्होत्रा और डाॅ. प्रभा मल्होत्रा के बाद डाॅ. नरेंद्र और डाॅ. जयदीप ने न सिर्फ उनकी विरासत को आगे बढ़ाया बल्कि अपने बच्चों डाॅ. नीहारिका और डाॅ. केशव मल्होत्रा को भी वही गुण दिए जो खुद में थे। डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा और डाॅ. जयदीप मल्होत्रा न सिर्फ देश के शीर्ष 10 स्त्री रोग विशेषज्ञों में शुमार हैं बल्कि पहले दंपति हैं जो फेडरेशन आॅफ आॅब्सटेट्रिकल सोसायटी आॅफ इंडिया (फाॅग्सी) के अध्यक्ष रहे हैं और जिन्हें यूके के राॅयल काॅलेज की मानद उपाधि से सुशोभित किया जा चुका है।
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क्या है उनकी दिनचर्या, कैसे करते हैं अपने समय का प्रबंधन
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलै होय गी, बहुरी करेगा कब।।
डाॅ. नरेंद्र कहते हैं कि उपर्युक्त पंक्तियां समय की महत्ता को बताती हैं। विकास की राह में समय की बर्बादी ही सबसे बड़ा शत्रु है। एक बार हाथ से निकला हुआ समय कभी काम नहीं आता। यही वजह है कि छात्र जीवन से ही वे समय को अपनी मूल्यवान संपदा मानते आ रहे हैं। आज भी सुबह छह बजे बिस्तर से उठने के बाद वे रात 9.30 बजे ही वापस बैड पर जाते हैं। उनकी भोर अपने बागीचे में बागवानी के साथ होती है, इसमें घर के दो बच्चे उनकी धेवती नीराली और धेवता नवकार उनके साथ होते हैं। सात बजे वे दोनों बच्चों को स्कूल छोड़ते हैं और आठ बजे नाश्ता करने के बाद काम में जुट जाते हैं। सुबह 8.30 बजे से अपने नाई की मंडी स्थित मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम में मरीजों को देखना, हाॅस्पिटल में राउंड करना, इसके बाद 10.30 बजे से सिकंदरा स्थित उजाला सिग्नस रेनबो हाॅस्पिटल में मरीजों को देखना, राउंड करना, सर्जरी, आॅपरेशन थियेटर। दोपहर दो बजे उनका पूरा परिवार इस अस्पताल में ही एक साथ लंच करता है। तीन से चार बजे तक वे अपने अस्पतालों की सभी प्रशासनिक कार्य निपटाते हैं। कई सारी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार होती हैं जिन्हें अपराह्न तीन से पांच बजे के बीच करते हैं। शाम छह बजे से वापस मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम में ओपीडी करते हैं। इसके बाद दोनों बच्चों नीराली और नवकार के साथ स्वीमिंग क्लब जाते हैं। आठ बजे पूरे परिवार का एक बार फिर सहभोज होता है। कुछ समय टीवी पर देश-दुनिया की खबरें देखने के बाद 9.30 बजे उनके सोने का समय होता है। हालांकि कई बार रातों को इमरजेंसी काॅल आती हैं और उन्हें मरीजों के लिए दौड़ लगानी पड़ती है। इसके बाद भी वे अपने समय को मैनेज करते हैं और सोने व सुबह उठने का समय लगभग वही रखते हैं।