आगरालीक्स… आगरा में डॉक्टरों ने कहा कि महिलाओं की जान की दुश्मन बन रही बीमारियों से पर्दाप्रथा, इयान डोनाल्ड इंटर यूनिवर्सिटी स्कूल आॅफ मेडिकल अल्ट्रासाउंड के तत्वावधान में साउथ एशिया कोर्स इन ह्यूमन रिप्रोडक्शन सेमिनार रविवार को रेनबो हाॅस्पिटल में संपन्न हुई। स्त्री रोग एवं अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों के इस सम्मेलन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन तकनीकी सत्रों के साथ ही कई लाइव वर्कशाॅप, डेमोंस्ट्रेशन और हैंड्स आॅन वर्कशाॅप हुईं। वहीं विशेषज्ञों ने महिलाओं की ऐसी समस्याओं पर मंथन किया जिसके बारे में वह बात करने से भी झिझकती हैं और न चाहते हुए भी धीरे-धीरे एक बीमारी को गंभीर रूप देती हैं।
सम्मेलन के अंतिम दिन इयान डोनाल्ड इंटर यूनिवर्सिटी स्कूल आॅफ मेडिकल अल्ट्रासाउंड के डायरेक्टर डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने महिलाओं की ऐसी बीमारियों या समस्याओं के बारे में बताया जिनका जिक्र वह शर्म और झिझक के कारण परिवार में किसी से नहीं करतीं और लंबे समय तक इन बीमारियों के साथ जीवन जीती रहती हैं। ऐसे में होता यह है कि कई बार बीमारी नियंत्रण से बाहर चली जाती है और बात जीवन-मरण तक पहुंच जाती है। डा. नरेंद्र ने कहा कि जिस तरह भारत में बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, बाल विवाह, देहज प्रथा बड़ी समस्याएं हैं उसी तरह बीमारियों से पर्दाप्रथा भी खूब देखने को मिलती है।

इससे होता यह है कि एक परिवार का संचालन करने वाली महिला का जीवन ही खतरे में पड़ जाता है। न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि शहरों में भी देखा गया है कि महिलाएं भय, संकोच व निरक्षरता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को परिवार या चिकित्सकों के समक्ष रखने में हिचकिचाती हैं। कोलकाता से आईं डा. इंदा्रणी लोध ने बताया कि आज भी समाज में प्रचलित अंधविश्वास व पर्दाप्रथा के कारण महिलाएं स्वतंत्र निर्णय लेकर अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समय पर इलाज नहीं करवा पाती हैं। जिसके परिणाम अंततः संपूर्ण परिवार को भुगतने पड़ते हैं। यौन रोगों के बारे में तो वह बात तक नहीं करतीं। डा. विजय राॅय ने बताया कि मूत्र का बार-बार रिसना, योनि का सूखापन, खुजली का बार-बार होना, गर्भाशय का बाहर खिसकना, संभोग में दर्द या तकलीफ जैसी समस्याएं महिलाओं को लग सकती हैं, लेकिन वे इनके बारे में परिवार या चिकित्सकों को बताती ही नहीं। जब तकलीफ हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो पता चलता है, लेकिन या तो देर हो चुकी होती है इलाज सही नहीं मिल पाता।
दिल्ली से आईं डा. अपर्णा हेगड़े ने बताया कि इन समस्याओं के इलाज पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीक काफी आगे बढ़ चुकी है। फैमिलिफ्ट लेजर सिस्टम एक ऐसी तकनीक है, जिससे तीन या चार सिटिंग में इनमें से कई रोगों को खत्म किया जा सकता है। कोई सर्जरी नहीं, कोई डाउनटाइम नहीं, कोई दवा नहीं, कोई दर्द नहीं। उत्तर भारत में आगरा के रेनबो हाॅस्पिटल में फिलहाल यह तकनीक उपलब्ध है। यह कोई सर्जिकल प्रोसेज नहीं है और कई मामलों में 95 प्रतिशत तक सफलता दर दर्ज की गई है। यूं कहें कि महिलाओं की गुप्त समस्याओं का निवारण अब लेजर उपचार द्वारा संभव है।
विभिन्न तकनीकी सत्रों में डा. निहारिका मल्होत्रा, डा. शैमी बंसल, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. ऋषभ बोरा, डा. केशव मल्होत्रा ने अल्ट्रासाउंड, गर्भावस्था की जटिलताओं, आईवीएफ का लाइव वर्कशाॅप के जरिए प्रशिक्षण दिया।

फैमिलिफट लेजर से इन रोगों का इलाज संभव……
– मूत्र का बार-बार रिसना
– योनि का सूखापन
– बार-बार खुजली होना
– योनि द्वार का ढीलापन
– गर्भाशय का बाहर खिसकना (प्रारंभिक अवस्था में)
– संभोग में दर्द या तकलीफ
अपने डाॅक्टर से कभी न छिपाएं ये बातें……
फाॅग्सी की अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि महिलाओं की लडाई पहले खुद से है। उन्हें शर्म और झिझक त्यागनी होगी, क्योंकि उन्हें स्वस्थ रहना है। न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने परिवार, अपने बच्चों के लिए भी। क्लोनिंग और जीन के जरिए डिजाइनर शिशुओं का दौर आ गया है। ऐसे में यौन या जननांग संबंधी समस्याओं पर शर्माना कैसा। देखा गया है कि अक्सर महिलाएं जब अपने गायनेकोलाॅजिस्ट के पास जाती हैं तो काफी सवालों के जवाब झिझक कर गलत देती हैं। भले ही आप उनसे बातें छुपाती हैं, लेकिन आपको बता दें कि आपके डाॅक्टर को सबकुछ मालूम है।