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Agra’s senior litterateur Rajkumari Chauhan’s 2 poetry collections of released#agranews

आगरालीक्स..(24 July 2021 Agra News) आगरा की वरिष्ठ साहित्यकार राजकुमारी चौहान “प्रकृति-प्रिया” के दो काव्य संग्रहों का लोकार्पण. कहा—मेरी रचनाओं में है मेरी आत्मा, मेरी भावनाएँ, मेरी मेरे मौन आँसू

  • हिंदी भाषा के प्रति आस्था और समर्पण व्यक्त करती हैं ये कविताएँ: डॉ. सुषमा सिंह
  • 76 वर्ष की उम्र में भी साहित्य सृजन हेतु रचनाकार की ऊर्जा और उत्साह प्रेरणा प्रद है: डॉ. पुनीता पचौरी
  • इन काव्य-रचनाओं में मिलते हैं छायावाद और मानवीकरण के दर्शन: डॉ. अशोक अश्रु
  • राजकुमारी चौहान की कविताओं में विद्यमान है मानवीय संवेदना और जीवन मूल्यों के साथ लोकरंजन और लोकमंगल का भाव: डॉ. अनिल उपाध्याय
  • मेरी रचनाओं में है मेरी आत्मा, मेरी भावनाएँ, मेरी अनकही व्यथा, मेरे मौन आँसू और सामाजिक विसंगतियों को अवरुद्ध न कर पाने की छटपटाहट: राजकुमारी चौहान “प्रकृति-प्रिया”

ज्योतिर्गमय और मैं प्रकृति हूं का लोकार्पण
साहित्य साधिका समिति, संस्थान संगम मासिक पत्रिका, स्वरांजलि, आगरा राइटर्स एसोसिएशन एवं नेशनल राइटर्स एंड कल्चरल फोरम के संयुक्त तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती राजकुमारी चौहान “प्रकृति-प्रिया” के दो काव्य संग्रहों- “ज्योतिर्गमय” एवं “मैं प्रकृति हूँ” का लोकार्पण आगरा के गणमान्य साहित्यकारों द्वारा शनिवार शाम संजय प्लेस स्थित होटल हॉलिडे इन में किया गया। समारोह में आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह ने लोकार्पित कृतियों की समीक्षा करते हुए कहा कि राजकुमारी चौहान भाव पक्ष की तो धनी हैं ही, कला पक्ष भी भाव पक्ष के अनुरूप है। उनकी कविताओं में हिंदी भाषा के प्रति आस्था और समर्पण व्यक्त हुआ है।

76 वर्ष की उम्र में भी साहित्य सृजन प्रेरणा पद
केंद्रीय हिंदी संस्थान की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुनीता पचौरी ने कहा कि “ज्योतिर्मय” भावनात्मक संदर्भों के साथ पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक और प्राकृतिक विषयगत विविधताओं का पर्याय है। 76 वर्ष की उम्र में भी साहित्य सृजन हेतु रचनाकार की ऊर्जा और उत्साह प्रणम्य और प्रेरणा प्रद है। संस्थान संगम मासिक पत्रिका के संपादक डॉ. अशोक अश्रु ने कहा कि राजकुमारी चौहान की रचनाओं में छायावाद और मानवीकरण के दर्शन मिलते हैं। डॉ. अनिल उपाध्याय ने कहा कि राजकुमारी चौहान की कविताओं में मानवीय संवेदना और जीवन मूल्यों के साथ लोकरंजन और लोकमंगल का भाव भी विद्यमान है।

रानी सरोज गौरिहार ने की अध्यक्षता
लोकार्पित कृतियों की रचनाकार राजकुमारी चौहान “प्रकृति-प्रिया” ने कहा कि इन रचनाओं में मेरी आत्मा, मेरी भावनाएँ, मेरी अनकही व्यथा, मेरे आँसू और सामाजिक विसंगतियों को अवरुद्ध न कर पाने की छटपटाहट के साथ आज की परिस्थितियों का समावेश है। नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने समारोह की अध्यक्षता की। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि प्रो. सोम ठाकुर मुख्य अतिथि रहे। डॉ. त्रिमोहन तरल, निहाल चंद शिवहरे (झांसी) और डॉ. अशोक विज विशिष्ट अतिथि रहे। डॉ. अनिल उपाध्याय ने कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन किया। अतिथियों का स्वागत कृष्णवीर सिंह चौहान, ग्रुप कैप्टन प्रशांत चौहान, वीना चौहान और पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट दिव्या चौहान ने किया।

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