Case filed against girlfriend for boyfriend’s death…#etahnews
Agra News: More than 200 doctors from all over the country are taking training in Agra…#agranews
आगरालीक्स…देर से शादी और बदलती लाइफस्टाल से बढ़े हैं आईवीएफ के मामले. लैप्रोस्कोपिक ट्रीटमेंट से रोके जा सकते है 70% मामले. आगरा में 200 से अधिक डॉक्टर्स पहुंचे ट्रेनिंग लेने
देश की 50 फीसदी जनता (विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र) को इलाज के दौरान सर्जीकल मदद नहीं मिल पाती। सर्जन की कमी के साथ नई तकनीकों से ट्रेंड सर्जन्स की भी कमी है। एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार जैन ने हरि पर्वत स्थित होटल होली-डे-इन में अमासी (एसोसिएशन ऑफ मिनिमल एक्सेस सर्जरी) द्वारा आयोजित 88वां अमासी स्किल कोर्स एंड एफएमएएस एग्जामिनेशन में जानकारी देते हुए बताया कि रोबोटिक सर्जरी का प्रयोग काफी तेजी से भारत में बढ़ रहा है। जटिल ऑपरेशन में जहां हम ओपन व लैप्रोस्कोपिक तकनीक से नहीं पहुंच पाते, रोबोटिक सर्जरी ने ऐसे ऑपरेशन की दिशा बदल दी है। जल्दी ही यह सर्जरी भी आम जन सुलभ होने के साथ कम कीमत में उपलब्ध होगी।

लैप्रोस्कोपिक ट्रीटमेंट से रोके जा सकते है 70 फीसदी आईवीएफ के मामले
दिल्ली की निकिता त्रेहान ने बताया कि बदलती जीवनशैली, खान-पान व देर से विवाह के कारण आईवीएफ के मामलों में भी इजाफा हो रहा है। इसके लिए दूरबीन विधि से अंडाशय में स्टैम सेल डालकर अंडों को स्ट्रॉंग कर दिया जाता है। जिससे अधिक उम्र में गर्भधारण करने की सम्भावना बढ़ जाती है, और आईवीएफ के मामलों में 70 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है। वहीं बार-बार गर्भपात की समस्या में दूरबीन विधि से बच्चेदानी का मुंह ऊपर से बंद कर 70-80 फीसदी गर्भपात के मामलों को कम किया जा सकता है। जिसमें गर्भपात के कारण रसौली, एंडोमैट्रियोसिस, नले बंद होना, अंडाशय में सिस्ट का होना हो सकता है। डॉ. दिव्या जैन ने बताया डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी का बी प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें सर्जरी करने के साथ बीमारी का पता लगाने के लिए भी प्रयोग किया जा रहा है।

अमासी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वर्गीज सीजे ने बताया कि एसोसिएशन द्वारा सर्जन्स को आधुनिक तकनीकों से ट्रेंड कर देश के हर कोने में जरूरतमंद मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना उद्देश्य है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। सर्जरी के क्षेत्र में प्रत्येक 10 वर्षों में कुछ न कुछ नयी तकनीके विकसित हो रही हैं। जरूरी है कि सर्जन इन तकनीकों को सीखें और खुद को अपडेट रखें, जिससे देश के हर मरीज तक इसका लाभ पहुंच सके। अमासी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. तमोनास चौधरी ने कहा कि स्टूडेंस के समय जो तकनीकें विशेषज्ञों ने सीखीं, प्रैक्टिस के दौरान नयी तकनीकें विकसित हो जाती है। इसलिए सर्जन्स को अपडेट रखने के लिए इस तरह के कोर्स बहुत जरूरी हैं। जिससे देश के हर नागरिक को बेहतर सर्जीकल सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। भारत में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी बहुत जरूरी है, क्योंकि 70 फीसदी लोग शारीरिक श्रम वाले कामों से जुड़े हैं, जिसमें जल्दी से जल्दी काम पर लौटना होता है। इस अवसर पर अमासी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ओम तांतिया भी मौजूद थे।
200 विशेषज्ञ ले रहे ट्रैनिंग, कल होगी परीक्षा
अमासी द्वारा आयोजित 88वां अमासी स्किल कोर्स एंड एफएमएएस एग्जामिनेशन के कोर्स कन्वीनियर डॉ. मयंक जैन ने बताया कि 200 से अधिक सर्जन एंडो ट्रेनर पर ट्रैनिंग ले रहे हैं, जिसमें केरल, चैन्नई, श्रीनगर, पटना, कलकत्ता, हैदराबाद, सूरत, भोपाल, लखनऊ, पटियाला सहित लगभग सभी प्रांतों के सर्जन शामिल हैं। रविवार को परीक्षा होगी। इस अवसर पर आयोजन समिति के डॉ. प्रशान्त गुप्ता, डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. अपूर्व चतुर्वेदी, डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. जूही सिंघल, डॉ. जगत पाल, डॉ. आराधना आदि मौजूद रहीं।
गर्भाशय कैंसर में मात्र 15-20 फीसदी हो रही प्रैप्रोस्कोपिक सर्जरी
दिल्ली के डॉ. विक्रांत शर्मा ने बताया कि बच्चेदानी के कैंसर में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी काफी कारगर है। जिसमें कम दर्द और इंजरी, जल्दी रिकवरी होने के साथ आवश्यकता होने पर मात्र 10-12 दिन बाद कीमो दी जा सकती है। जबकि ओपन सर्जरी में कीमों देने के लिए 4-6 हफ्तों का लम्बा तजार करना पड़ता है। इसके बावजूद भारत में 15-20 फीसदी सर्जन ही लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कर रहे है।