Agra News: Recruitment of security personnel and security supervisor in
Agra’s Ramlila and Ram Barat has a history of 137 years of devotion and faith towards Shri Ram
आगरालीक्स… ब्रजभूमि आगरा जितना प्रेम श्रीकृष्ण से करती है तो श्रीराम भी रोम-रोम में बसे हैं। रामलीला,राम बरात इसे बखूबी दर्शाती हैं। जानिये कैसे पहुंचे इस मुकाम तक फोटो।
137 साल पहले श्रीमनःकामेश्वर बारादरी से हुआ शुभारंभ
आगरा समय के साथ बदल रहा है। शहर का फैलाव भी दूर-दूर तक हो गया है लेकिन नहीं बदला है तो वह आगरा के लोगों का श्रीराम के प्रति अगाध प्रेम और श्रद्धाभाव। आगरा में रामलीला और राम बारात की जो शुरुआत 137 साल पहले रावतपाड़ा के व्यापारियों ने की थी, उसे पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया जा रहा और हर बार भव्य रूप दिया जा रहा है।
आगरा के युवक ही होते थे रामलीला के पात्र
रामलीला की शुरुआत वर्ष 1885 में श्रीमनःकामेश्वर मंदिर की चन्नौमहल की बारहदरी से हुई। इस बारादरी में बेलनगंज, रावतपाड़ा, यमुना पार के ब्राह्मण समाज के युवकों ने विभिन्न पात्रों को निभाया। इस क्षेत्र में कई अखाड़ों में गुरु और खलीफा भगत आदि का मंचन भी कराते थे। वही रामलीला के पात्रों को प्रशिक्षण देते थे।
राम बरात का बैलगाड़ी से अब तक का सफर
आगरा में पहली राम बारात बैलगाड़ी पर निकाली गई। इक्को (खुले हुए तांगे) पर कुछ झांकियां सजाई गई और काली का स्वरूप तो पैदल ही तलवारबाजी के करतब करता हुआ निकला था।
बारादरी से रामलीला मैदान तक पहुंचा मंचन
आगरा में रामलीला के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा तो रामलीला को बारादरी के स्थान पर रावतपाड़ा की बाहहमासी प्याऊ के पास किया जाने लगा, यहां जगह छोटी पड़ी तो रामलीला मैदान में इसे किया जाने लगा।
चांदी का रथ, हाथी, घोड़े सभी होते थे शामिल, सौ से ज्यादा झांकियां
राम बारात में सौ से ज्यादा झांकियां शामिल होने लगीं। श्री राम चांदी के रथ पर फिर हाथी पर अपने भाइयों के साथ निकलने लगे। हाथी पर रोक लगने के बाद अब श्री राम रथ अपने भाइयो के साथ रथ में सवार होकर निकलते हैं।
यादों के झरोखे से- कब-कब रुकी रामलीला, रामबरात
आगरा के वृद्ध लोग अपने पूर्वजों से सुनी बातों के आधार पर बताते हैं कि भारत-पाक और चीन से युद्ध के दौरान रामलीला के मंचन पर विराम लगा था और अब कोरोना काल में दो साल रामलीला का मंचन नहीं हुआ था।
राम बरात के मार्ग पर झूले-तमाशे वालों ने तलाशे ठिकाने
आगरा में इस बार उत्तर भारत की ऐतिहासिक राम बारात 21 सितंबर को निकलेगी। राम बरात के मार्गो पर आज से ही झूले-तमाशे वालों ने अपना स्थान तय कर सामान सजाना शुरू कर दिया है।
तीन दिन जनकपुरी
जनकपुरी 21 से 23 सितंबर को सजेगी, जिसका आयोजन इस बार दयालबाग में किया गया है। रामलीला का समापन आठ अक्टूबर को होगा।