आगरालीक्स… 29 जून आषाढ़ मास की अमावस्या का जीवन में क्या महत्व है। हमें किस प्रकार लाभ और हानि प्राप्त होती है। जानिये विस्तार से।
आर्द्रा नक्षत्र से युक्त है आषाढ़ अमावस्या
श्री गुरु ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा के अनुसार जो अमावस्या पुष्य, पुनर्वसु या आर्द्रा नक्षत्र से युक्त हो, उसमें पूजित होने से पितृगण बारह वर्षों तक तृप्त रहते हैं।
अत्यंत ही पुण्यदायिनी तिथि
♦ बुधवार-29 जून-2022
♦ 28जून सांय 07:04 से 29 जून की रात्रि 10:07 तक आर्द्रा नक्षत्र
क्या करना चाहिए
🍁 अमावस्या नारायण की प्रिय तिथियों में से एक है, इस इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरुर करें अगर पाठ कर पाना संभव नहीं तो श्रवण करें
🍁 अगर संभव हो तो किसी तीर्थ क्षेत्र, विशेषकर गंगाजी में स्नान करें और यदि न जा पायें तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें
🍁 अमावस्या के दिन अपने घर की अच्छे से साफ़ सफाई करें, मोटा नमक मिले हुए पानी से घर में पोछा लगायें, झाले हटायें एवं बिना काम का सामान या तो रद्दी वाले को दें या फ़ेंक दें।
🍁 शाम के समय सुगंधित धूप घर में लगायें एवं लक्ष्मी ह्रदय स्तोत्र सुनें ! (मोबाइल इत्यादि पर घर में बजाएं )
🔥 पितरों का श्राद्ध करें और अगर श्राद्ध करने में असमर्थ हैं तो कम से कम तिल मिश्रित जल अपने पितरों के निमित्त अर्पण करना चाहिए
🍁 अमावस्या के दिन अपने पितरों के निम्मित ब्राम्हणों को भोजन करायें ! अन्न दान, वस्त्र दान एवं तिलदान करें।
🍁 अन्नदान ब्राम्हणों के साथ साथ गरीबों एवं जरुरतमंदों को भी कर सकते हैं, याद रखिये “कलियुग में दान ही प्रधान धर्म माना गया है।
🍁 जरुर करें : गौ सेवा अर्थात देशी गाय को चारा या जो संभव हो जरुर खिलायें, अनंत लाभ होगा, गौ सेवा से हुए लाभ को बताने के लिए शब्द कम पड़ जायेंगे, लेकिन ध्यान दीजियेगा, गाय देशी ही हो।
🍁 कौवों को कुछ भोजन दें, चीटियों के निम्मित आटे एवं शक्कर को मिलाकर किसी पेड़ के निचे रखें, मछलियों को दाना दें।
🍁 पितरों के निम्मित एक नारियल बहते जल में प्रवाहित करें एवं उनसे आपके ऊपर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखने की प्रार्थना करें।
🍁 सुबह या शाम के समय पीपल का पूजन के द्वारा बताई गई विधि से करें, दीपक थोडा बड़ा ले लीजिये, जिससे की दीपक 6-7 घंटे अर्थात लम्बे समय तक जल सके।
यह नही करें
🍁 भूलियेगा मत: “जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरों का अन्न खाता है उसका महीने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को चला जाता है।