Devotthan Ekadashi 2020 : Boom in Market #agra
आगरालीक्स… आगरा में देवोत्थान यानि देवप्रोबधिनी एकादशी (बुधवार से) शुभ कार्य, शादी-विवाह समारोह आदि शुरू हो जाएंगे। बाजारों में भी खरीदारी के साथ रौनक बिखरेगी। देवोत्थान एकादशी के कई महत्व हैं। आगरालीक्स में आज पूजा विधि, तुलसी विवाह, खाटू श्याम प्राकट्य की जानकारी।
आषण शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ब्रह्मा, इंद्र रुद्र, अग्नि, वरुण कुबेर, सूर्य आदि द्वारा पूजित श्रीहरि चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं। (यूं तो श्रीहरि कभी सोते नहीं) इसके बाद इन चार माह में शुभ कार्यों पर ब्रेक लग जाता है। श्री हरि के शयन के बाद कार्तिक शुक्ल की एकदाशी को वह उठ जाते हैं। इसके साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
प्रबोधिनी एकादश पारण
एकादशी प्रारंभ 24 नवंबर मंगलवार को सुबह 2.42 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त 25 नवंबर बुधवार को सुबह 5.10 बजे तक
पारण (व्रत खोलने का समय) 26 नवंबर सुबह 5.10 से 8.36 तक
पारिण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय 26 नवंबर 5.10 तक
देवोत्थान एकादशी का महत्व
एकादशी के बारे में कहा जाता है कि इसका उपवास कर लेने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूयय यज्ञ का फल मिल जाता है। पितृदोष से पीड़ित लोगों को व्रत रखने से उनके पितृ को नरक के दुखों से छुटकारा मिल जाता है।
तुलसी-शालिग्रराम विवाह
भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और माता तुलसी के मिलन का पर्व तुलसी विवाह हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। पद्मपुराण कथानुसार राजा जालंधर की पत्नी वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु पत्थर बन गए थे, जिस कारण प्रभु को शालिग्राम भी कहा जाता है और भक्तगण इस रूप की पूजा करते हैं। इसी श्राप से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु को शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह करना पड़ा और उसी समय से एकादशी को यह पर्व मनाया जाता है।
खाटू श्याम का प्राकट्य
खाटू श्याम बाबा बर्बरीक के रूप हैं। श्रीकृष्ण ने ही बर्बरीक को खाटूश्यामजी का नाम दिया। श्रीकृष्ण के कलियुगी अवतार खाटू श्यामजी में विराजित है। वीर घटोत्कच और मोरवी के एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई, जिसके बाल बब्बर शेर की तरह होने के कारण बर्बरीक का नाम दिया गया था।