Agra News: Recruitment of security personnel and security supervisor in
Know why the festival of Nagpanchami is celebrated#agranews
आगरालीक्स(11th August 2021 Agra News)… श्रावण मास की नागपंचमी 13 अगस्त को है। मनुष्य और नागों का संबंध पौराणिक है। जानिए क्यों मनाया जाता है यह त्योहार और क्या है महत्ता…।
नाग को माना गया है देवता
हिंदू धर्मग्रन्थों के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह परम्परागत, श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह नागों और सर्पों की पूजा का पर्व है। अलीगढ़ के श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदयरंजन शर्मा ने बताया कि मनुष्य और नागों का संबंध पौराणिक कथाओं से झलकता रहा है। हिंदू धर्मग्रन्थों में नाग को देवता माना गया है। इनका विभिन्न जगहों पर उल्लेख भी किया गया है।
कालिया, तक्षक बहुत प्रसिद्ध
हिन्दू धर्म में कालिया, शेषनाग, कद्रू (सांपों की माता) तक्षक आदि बहुत प्रसिद्ध हैं। कथाओं के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री तथा कश्यप ऋषि (जिनके नाम से कश्यप गोत्र चला) की पत्नी ‘कद्रू’ नाग माता के रूप में आदरणीय रही हैं। कद्रू को सुरसा के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक महत्व
शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी है। भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं। शिवजी के गले में सर्पों का हार है। कृष्ण जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेवजी ने यमुना पार की थी। यहां तक कि समुद्र-मंथन के समय देवताओं की मदद भी वासुकी नाग ने ही की थी। इसलिय नाग देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है नागपंचमी।
नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध
वर्षा ऋतु में वर्षा का जल धीरे-धीरे धरती में समाकर सांपों के बिलों में भर जाता है। इसलिए श्रावण मास में सांप सुरक्षित स्थान की खोज में अपने बिल से बाहर निकलते हैं। संभवतः उस समय उनकी रक्षा करने और सर्पभय व सर्पविष से मुक्ति पाने के लिए भारतीय संस्कृति में इस दिन नाग के पूजन की परंपरा शुरू हुई। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है।
इनके लिए जाते हैं नाम
नागपूजन करते समय इन 12 प्रसिद्ध नागों के नाम लिये जाते हैं। इनमें से धृतराष्ट्र, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेष, वासुकी, पिंगल, तक्षक और कालिया। साथ ही इनसे अपने परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है।
नागपंचमी के दिन क्या करें
इस दिन नागदेव के दर्शन अवश्य करना चाहिए। बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए। नागदेव को दूध भी पिलाना चाहिए। नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।