आगरालीक्स.. आगरा में नवरात्र पर्व पर मंगलवार को मां के चतुर्थ स्वरूप माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाएगी। कुष्मांडा देवी रोगों को नष्ट करने और समृद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं। इनके पूजन से अनाहत चक्र जागृत होता है। मां दुर्गा के नौ रूपों में नौ औषधियों का भी वास होता है। व्रत के दौरान आप दवा से परहेज करते हैं तो इन औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है। आगरालीक्स में आज दुर्गा औषधि कवच, योग दर्शन, माता का भोग समेत विविध जानकारियां।
माता कुष्मांडा
नवरात्र में चौथे दिन माता रानी के चतुर्थ रूप कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माता कुष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कुष्मांडा पड़ा। इनकी आठ भुजाएं हैं। इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, वाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है।
औषधि कवच
कुष्माण्डा यानि पेठा है। यह औषधि के रूप में हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल कम करने और ठंडक पहुंचाने वाला होता है। पेट की गड़बड़ियों के साथ रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है। इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ देवी की आराधना करनी चाहिए।
योगदर्शन
माता कुष्मांडा के पूजन से अनाहत चक्र जागृत होता है। साधक को विधि विधान के साथ पवित्र मन के साथ पूजन करना चाहिये। कुष्मांडा देवी रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली देवी हैं। इनकी आराधना से धन-धान्य और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
माता का भोग- पेठा व दुग्ध पदार्थों का भोग लगाए, चतुर्थी के दिन माता को मालपूआ का भोग लगाने और दान करने से सभी प्रकार की समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं।
देवी जागरण नहीं होने से भजन मंडली मायूस
कोरोना संक्रमण के कारण सामूहिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं होने के कारण इस बार देवी जागरणों का आयोजन नहीं हो रहा है। इसके कारण भजन मंडली से जुड़े लोग मायूस है। देवी, जागरण, शिव विवाह, शादी समारोह आदि से इन लोगों को रोजगार चलता है। इस कार्य से जुड़े लोगों का कहना है कि चैत्र नवरात्र की तरह शारदीय नवरात्र में किसी तरह का काम नहीं मिला है। शादी विवाह के साथ कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं होने से उन्हें दूसरे काम-धंधों की ओर रुख करना पड़ा है। एक माह के अधिक मास में धार्मिक कार्यक्रम होने पर ढोलक, हरमोनियम आदि भी बजाने को मिल जाता था। लेकिन अब तो गाना-बजाना बिलकुल बंद हो गया है।