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The joy of Karva Chauth festival among the honeymooners, first of all, Mother Parvati had kept this fast for Lord Shiva

आगरालीक्स… करवा चौथ का पर्व उल्लास से मनाया जा रहा है। सुहागिनें व्रत रखे हैं। करवा चौथ व्रत को सबसे पहले मां पार्वती ने रखा था। जानिए क्या है इसकी पौराणिक मान्यता।

पौराणिक मान्यताओं में कई कथाएं प्रचलित

ज्योतिषाचार्य हृदय रंजन शर्मा

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि आज करवा चौथ के दिन महिलाएं बिना जल और अन्न के दिनभर व्रत रख रही हैं। शाम को चंद्रमा के पूजा के बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलेंगी। करवा चौथ का व्रत प्राचीन काल से चला आ रहा है। इस व्रत की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के व्रत पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

द्रोपदी ने पांडवों की रक्षा के लिए रखा था व्रत

🍁 जंगल में द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा के लिए किया था करवा चौथ का व्रत शास्त्रों के अनुसार, जब पांडव जंगल में तप और भ्रमण कर रहे थे तब द्रौपदी उनके लिए काफी दुखी होने लगी थी। एक बार द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से अपनी दुख बताया और पांडवों की रक्षा करने के लिए उपाय पूछा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने की राय दी जिसके बाद पांडवों की सकुशल वापसी संभव हो पाई थी। यह व्रत शिवपुराण के अनुसार, सावित्री ने यमराज से अपने स्वामी के प्राणों की भीख मांगी थी कि उसके पति को वह नहीं ले जाएं। कहा जाता है कि तभी से सुहागनी महिलाएं इस व्रत का पालन करती हैं।

माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए सबसे पहले रखा व्रत

शास्त्रों के अनुसार, सबसे पहले मां पार्वती ने यह व्रत भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत के बाद ही उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इसी कारण करवा चौथ के दिन मां पार्वती की पूजा की जाती है।

रामायण के लंकाकांड में भी है करवा चौथ पर्व का जिक्र

लंका कांड में एक कथा है जब श्री राम समु्द्र पार करके लंका पहुंचे तो उन्होंने चांद पर पड़ने वाली छाया के बारे में बताया कि विष और चंद्रमा दोनों ही समुद्र मंथन से निकले थे जिसके कारण चंद्रमा विष को अपना छोटा भाई मानते हैं। इसी वजह से चंद्रमा ने विष को अपने ह्रदय में स्थान दे रखा है। इसी वजह से करवा चौथ के दिन महिलाएं चांद की पूजा करती हैं और पति से दूर नहीं रहने की कामना करती हैं। जीत के लिए सभी देवताओं की पत्नियों ने एक साथ रखा था करवा चौथ व्रत शास्त्रों के अनुसार एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें धीरे-धीरे देवताओं की हार होने लगी। हार को जीत में बदलने के लिए सभी देवता ब्रह्राजी के पास गए। तब ब्रह्राजी ने विजय होने के लिए उपाय बताया। ब्रह्राजी ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए करवा चौथ व्रत रखना चाहिए और सच्चे मन से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने करवा चौथ का व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की। इसके बाद युद्ध में देवताओं की जीत हुई। तब से करवा चौथ के व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत हुई थी>

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