आगरालीक्स…आगरा के गुरुद्वारा माईथान में श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया जाएगा गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी पर्व…
आगरा के गुरुद्वारा माईथान में गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी पर्व श्रद्धा एवं सत्कार के साथ 23 मई को मनाया जाएगा. गुरुद्वारा माईथान में सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर ढाई बजे तक आयोजन होंगे. प्रेस वार्ता में श्री गुरु सिंह सभा ‘प्रधान’ स.कंवल दीप सिंह ने बताया कि इस गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी पर्व पर विशेष रूप से सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह हैड ग्रंथी सचखंड श्री दरबार साहिब अमृतसर, भाई कमलजीत सिंह हजूरी रागी सचखंड श्री दरबार साहिब अमृतसर, कथा-कीर्तन द्वारा गुरु इतिहास से साध -संगत को निहाल करेंगे। यह प्रोग्राम शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर के पूर्ण सहयोग के साथ मनाया जा रहा है और इसके पहले भी शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर की तरफ से समय-समय पर हर तरीके का जरूरत के अनुसार सहयोग मिलता रहता है।
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इसके अतिरिक्त भाई जसपाल सिंह अखंड कीर्तनी जत्था, ज्ञानी कुलविंदर सिंह हैड ग्रंथी गुरुद्वारा माईथान, ज्ञानी ओंकार सिंह हैड प्रचारक गुरुद्वारा माईथान, भाई बिजेन्द्र पाल सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा माईथान,एवं भाई हरजोत सिंह जी, गुरुद्वारा मिट्ठा खू, स्त्री सत्संग सभा गुरुद्वारा माईथान कीर्तन एवं कथा से संगत को निहाल करेंगे। सिंह सभा के देवेंद्र सिंह खालसा ने बताया कि इस अवसर पर सिक्ख समाज मे गुरुद्वारों में श्री सुखमनी साहिब के पाठों की लड़ी चलती है। दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था वी.पी. ऑयल मिल पर होगी। हैड ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने बताया कि इस अवसर पर मीठे जल की छबील लगाई जाएगी जिसकी शुरुआत तीसरे गुरु अमरदास जी के समय हुई जब दूर दूर संगत उनके दर्शन के लिए पहुंचती थी तब गुड की छबील की शुरुआत हुई जिससे उनको गर्मियों में राहत मिल सके बाद में गुरु रामदास जी ने दरबार साहिब में के चारो कोनो में जल की छबील स्थापित की जो आज भी है । उसके बाद गुरु अर्जुन देव जी जिनकी शहादत जेठ के महीने में हुई और उन्होंने अपनी शहादत को अकाल पुरख का आदेश मानकर बड़ी शांति से कबूल किया।
समन्वयक बंटी ग्रोवर ने बताया कि गुरु जी ने अपनी शहादत 30 मई 1606 में दी थी।
उल्लेखित है कि गुरु जी को मुगल बादशाह जहांगीर के आदेश पर मुर्तजा खान 22 मई 1606 को अमृतसर से गिरफ़्तार करके लाहोर ले गये जहां उन्हे 3 दिन तक यासा कानून (मंगोल कानून) के अंतर्गत सजाये मौत का हुकम दिया। पहले दिन उबलते हुये पानी के देग मै बैठाया गया फिर दूसरे दिन गर्म तवे पर बैठा कर कड़छों से गरम रेत डाली गई। और तीसरे दिन गरम उबलते हुये तेल के कड़ाये में बैठाया गया। गुरु साहिब का शरीर जर्जर हो चुका था और बाद मै रावी नदी के ठंडे पानी मै उनके जर्जर हो शरीर को बहा दिया गया। गुरु अर्जुन देव जी इस असहाय कष्टों को परमात्मा की रजा मानकर चुप-चाप सहन करते रहे और तेरा कीया मीठा लागे, हरि नाम पदार्थ नानक मांगे का गायन करते रहे। इस अवसर पर पोस्टर का भी विमोचन किया गया। शाम को कीर्तन दरबार गुरुद्वारा कलगी धर सदर बाजार में 7 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक मनाया जाएगा। प्रेस वार्ता में चेयरमैन सरदार परमात्मा सिंह,रांणा रंजीत सिंह,बबलू अर्शी ,रछपाल सिंह, हरपाल सिंह ,रविंद्र सिंह ओबराय,सन्नी अरोरा,सतविंदर सिंह,प्रवीण अरोरा मौजूद रहे