आगरालीक्स…आगरा में स्टूडेंट्स ने मटर के छिलकों से बनाएं पोषक कुकीज. कहा—मटर तो मटर अब छिलकों के कुकीज भी खाइए..जानें कैसे बनाए ये स्पेशल कुकीज
राजा बलवंत सिंह इंजीनियरिंग टेक्निकल कैंपस, बिचपुरी, आगरा के फूड टेक्नोलॉजी विभाग के छात्रों द्वारा मटर के छिल्कों के उपयोग से पोषक कुकीज़ के निर्माण पर शोध कार्य किया गया है। विभागाध्यक्ष फूड टेक्नोलॉजी प्रो० अपूर्व विहारी लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान (आई० आई० पी० आर०) के अनुसार विगत वर्ष में हमारे देश में लगभग 0.88 मीट्रिक टन मटर की पैदावार हुई। मटर की फली में लगभग 60 प्रतिशत भाग मटर के दानों का पाया जाता है एवं लगभग 40 प्रतिशत भाग छिल्के का होता है। यह 40 प्रतिशत भाग अपशिष्ट के रूप में फेक दिया जाता है अथवा जानवरों को खिला दिया जाता है। मटर के छिल्कों में प्रोटीन तथा फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, साथ ही इसमें विटामिन B1, B2, एवं विटामिन C तथा पोटैशियम, कैल्शियम, एवं मैग्नीशियम भी उपयुक्त मात्रा में पाया जाता है। उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फूड टेक्नोलॉजी विभाग के छात्र निखिल चौहान, श्रुति त्रिपाठी, वर्षा चाहर, यश राठौर एवं वतन कुमार ने अपशिष्ट प्रबंधन की श्रेणी में मटर के छिल्कों का उपयोग कर कुकीज़ बनाने पर शोध कार्य सहायक आचार्य अमित प्रताप सिंह के निर्देशन में किया है।
शोध के निर्देशक अमित प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मटर के छिल्कों को उचित वैज्ञानिक उपचार दिया गया तथा उचित पद्यतियों का प्रयोग करते हुए उपचार के पश्चात् मटर के छिल्कों को उचित तापमान पर निर्जलीकरण कर पाउडर बना लिया गया। मटर के छिल्कों के पाउडर को भिन्न-भिन्न अनुपातों में मैदा के साथ मिश्रित कर कुकीज़ का निर्माण किया गया। टेक्चरल एनालिसिस (बनावट विश्लेषण) एवं सेंसरी इवैल्यूएशन (संवेदी मूल्यांकन) के आधार पर विभिन्न प्रतिशत मटर के छिल्कों के पाउडर के उपयोग से बनाई गयी कुकीज़ में से श्रेष्ठ कुकीज़ को चयनित किया गया। अब तक किये गए परीक्षण के अनुसार श्रेष्ठ मटर के छिल्के वाली कुकीज़ को लगभग 90 दिनों तक उचित गुणवत्ता के साथ सुरक्षित रखा जा सकता है। उक्त कुकीज़ की लागत लगभग 12 रुपए प्रति 100 ग्राम आँकी गयी है।
संस्थान के निदेशक (अकादमिक) प्रो. बृजेश सिंह कुशवाह ने फूड टेक्नोलॉजी विभाग को इस शोध कार्य के लिए बधाई देते हुए बताया कि हमारा संस्थान हमेशा इस प्रकार के शोध एवं नवाचार को प्रोत्साहित करता है। निदेशक (प्रशासनिक एवं वित्त) प्रो. पंकज गुप्ता ने इस शोध कार्य की सराहना करते हुए शोध टीम का उत्साहवर्धन किया। इस शोध में फूड टेक्नोलॉजी विभाग के डॉ. आशीष खरे, डॉ. सौम्या राठौर, इ. दिव्या चौहान का विशेष सहयोग रहा।