हर साल अप्रैल से मार्च तक के लिए शहर के विकास कार्यों के लिए बजट आवंटित किया जाता है। मगर साल भर बहुत कम काम होते हैं, जैसे ही जनवरी शुरू होती है। शहर में जहां तहां रोड बनने का काम शुरू हो जाता है। यह काम इतनी तेजी से होता है कि आप सोच भी नहीं सकते हैं। कई बार तो सुबह आंखें खुलती हैं तो खुली की खुली रह जाती हैं, आपके घर के सामने का रोड बन चुका होता है। ये ठेकेदार भी रोड बनाकर खानापूर्ति करने के बाद गायब हो जाते हैं। सडक बनाने के लिए तैयार किए गए बजट की मोटी किश्त निकालने के कई महीने बाद रोड के बगल में टाइल बिछाते हैं, रोड के साथ ही नाली बनाने का काम नहीं किया जाता है।
कुछ महीने में ही खराब हो रहे रोड
इस तरह से शहर में बन रहे रोड कुछ महीनों बाद ही खराब हो रहे हैं, या इन रोडों को सीवर, पाइप और बिजली की अंडर ग्राउंड लाइन डालने के लिए तोडा जा रहा है। इस तरह हर साल करोडों का बजट मिटटी में मिल रहा है। सडकों के गडढे हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।
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