आगरालीक्स.. आगरा में नवरात्र पर्व की अष्टमी और नवमी पूजन को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
माता के भक्त अपनी-अपनी मान्यता के साथ माता का पूजन, व्रत और कन्या-लांगुरा जिमाएंगे। आगरालीक्स में आज दुर्गा औषधि कवच, योग दर्शन, माता का भोग, लाभकारी उपाए।
मां महागौरी की आराधना
नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति मां दुर्गा का यह अष्टम रूप है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है। मां सौभाग्य, धन- संपदा, सौंदर्य और स्त्री जनित गुणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। 18 गुणों की प्रतीक महागौरी धन-धान्य, गृहस्थी, सुख और शांत्रि की प्रदात्री हैं।
औषधि कवच
महागौरी यानी तुलसी प्रत्येक व्यक्ति इसे औषधि के रूप में जानता है। इसे घऱ में लगाकर इसकी पूजा की जाती है। पौराणिक महत्व से अलग तुलसी एक जानी-मानी औषधि है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। तुलसी कई प्रकार की होती है और तुलसी सभी प्रकार के रक्त को साफ एवं हृदय रोग का नाश करती है।
योग दर्शन
श्री महागौरी अष्टांग योग की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता की आराधना से हमारा सोम चक्र जागृत होता है। सोम चक्र उर्ध्व ललाट में स्थित होता है। साधक को माता महागौरी की विधि-विधान के साथ माता रानी की पूजा करनी चाहिए। महागौरी के प्रसन्न होने पर सभी सुख स्वतः प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से मन को शांति मिलती है।
माता का भोग- अष्टमी के दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं और उसका दान भी करें। इससे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
लाभकारी उपाय
-नवरात्र के शनिवार को सूर्योदय से पहले पीपल के 11 पत्ते लेकर उन पर राम नाम लिखकर इन पत्तों की माला बनाकर हनुमानजी को पहनाने से कारोबार की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। यह प्रयोग चुपचाप तरीके से करना चाहिए।
-यदि किसी व्यक्ति पर कर्ज है तो उसे नित्य चींटियों को शक्कर मिला आटा, पंजीरी किसी पेड़ अथवा जहां चीटियों की बांवी में डालने से कर्ज मुक्त होते हैं। यह कार्य नवरात्र में ही शुरू करना चाहिए।
नवम् सिद्धिदात्री का पूजन
नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की आऱाधना की जाती है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धी प्रदान करती हैं।
औधषि कवच
नवम सिद्धिदात्री यानी शतावरी मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाला है दुर्गा के इस स्वरूप को नारायणी या शतावरी कहते हं। शतावरी बुद्धि, बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार, वात, पित्त शोध नामक औषधि है। शतावरी का नियमपूर्वक सेवन करने वाले व्यक्ति के सभी कष्ट स्वयं दूर हो जाते हैं। इसलिए हृदय को बल देने के लिए मां नारायणी की आराधना करनी चाहिए।
योग दर्शन
माता सिद्धिदात्री की आराधना से निर्वाण चक्र जागृत होता है। साधक पूजा करते समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां पर लगाना चाहिए। माता की कृपा से इस चक्र की सारी शक्तियां साधक को प्राप्त हो जाती हैं। भक्त के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रहता, उसे सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मता का भोगः नवमी तिथि के दिन माता को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाए। यशाशक्ति गरीबों को दान करें। इससे लोक-परलोक में आनन्द और वैभव प्राप्त होता है।
लाभकारी उपाय
नवरात्र में अपनी श्रद्धा के अनुसार माता, पिता भाई, बहन,पत्नी, छोटी कन्या को दान अवश्य करें।
नवरात्र में अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ नए सामान की जरूर खरीदारी भी करें। इससे घर में सौभाग्य आता है। स्थाई संपत्ति का वास होता है।